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    Draupadi Murmu: आदिवासी वोट से 18 राज्यों के विधानसभा और 2024 लोकसभा का गणित सेट; ये है भाजपा की रणनीति

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jun 2022 02:30 PM (IST)

    Presidential Candidate Draupadi Murmu वर्ष 2024 तक जिन 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें से चार राज्यों में आदिवासी बहुसंख्यक हैं। इसके अला ...और पढ़ें

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    President Election 2022: देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी द्रौपदी मुर्मू।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने अगले ढाई साल में होने वाले चुनावों की रणनीति तैयार कर ली है। वर्ष 2024 में लोकसभा के साथ ही इस दौरान 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इनमें से चार राज्य ऐसे हैं जहां आदिवासी आबादी 50 फीसद से ज्यादा, मतलब बहुसंख्यक है। वहीं 13 राज्य ऐसे हैं जहां आदिवासी आबादी 10 फीसद से ज्यादा है। इसमें पूर्वोत्तर के भी छह राज्य शामिल हैं।

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    द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। उन्हें एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करना भाजपा की एक दीर्घकालिक चुनावी रणनीति का हिस्सा है। इसका असर उनके नाम की घोषणा के साथ ही दिखने भी लगा। द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा की रहने वाली हैं। लिहाजा उनके नाम की घोषणा होते ही ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा कर दी। उधर बिहार में जेडीयू समेत राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने भी उन्हें समर्थन देने की घोषणा की है। एनडीए के घटक हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी द्रौपर्दी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। केवल भाजपा और बीजद के ही मतों को मिला दिया जाए तो, राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपर्दी मुर्मू के पक्ष में तकरीबन 52 फीसद मत हैं, जो कि जीत के लिए पर्याप्त हैं।

    झारखंड समेत सात राज्यों में हैं संताल आदिवासी

    द्रौपदी मुर्मू, संताल आदिवासी समूह से आती हैं, जिनकी सबसे ज्यादा आबादी झारखंड में है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद संताल समुदाय से हैं और द्रौपदी मुर्मू से उनके बेहतर रिश्ते हैं। लिहाजा संभावना जताई जा रही है कि 30 विधायकों वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा भी राज्य में कांग्रेस गठबंधन के इतर राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे सकता है। झारखंड के अलावा असम, त्रिपुरा, बिहार, छत्तीसगढ़, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में भी संताल समुदाय की मौजूदगी है।

    2024 तक 18 राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव

    वर्ष 2024 तक 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें से चार राज्य मेघालय, नगालैंड, मिजोरम और आंध्र प्रदेश में आदिवासी बहुसंख्यक हैं। इन राज्यों की कुल आबादी में आदिवासियों की संख्या 50 फीसद से ज्यादा है। 2024 तक नौ अन्य अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, जिसमें गुजरात, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल है। इन राज्यों की कुल आबादी में आदिवासियों की संख्या लगभग 10 फीसद से 34 फीसद तक है। चार अन्य राज्य जहां 2024 तक विधानसभा चुनाव होने हैं, उसमें भी आदिवासी आबादी 5 फीसद से 9 फीसद तक है। ये चार राज्य हैं हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश। हिमाचल और कर्नाटक में वर्तमान में भाजपा की सरकार है। इन 18 राज्यों में केवल हरियाणा अकेला है, जहां आदिवासी आबादी नहीं है, लेकिन यहां भी पहले से भी भाजपा की सरकार है।

    18 में से सात राज्यों में नहीं है भाजपा सरकार

    वर्ष 2024 तक जिन 18 राज्यों में चुनाव होनें हैं, उनमें से 11 राज्यों में पहले से ही भाजपा गठबंधन (एनडीए) की सरकार है। 18 में से सात राज्य ऐसे हैं, जहां फिलहाल भाजपा की सरकार नहीं है। ये राज्य हैं, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओड़िशा, महाराष्ट्र और झारखंड। आदिवासी समुदाय के जरिए भाजपा इन राज्यों में भी चुनावी गणित अपने पक्ष में करने का प्रयास करेगी।

    देश के 84.4 फीसद आदिवासी रहते हैं इन राज्यों में

    2014 तक जिन 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें से हरियाणा को हटा दें तो शेष 17 राज्यों में देश की 84.4 फीसद आदिवासी आबादी निवास करती है। इस तरह से आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने अगले ढाई वर्ष के चुनावों में विपक्ष को चित करने का दांव खेल दिया है।

    पूर्वोत्तर के छह राज्य भी शामिल

    2024 तक जिन 18 राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें पूर्वोत्तर के छह राज्य भी शामिल हैं। ये राज्य हैं मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश। इन राज्यों में आदिवासी आबादी 34 से 94 फीसद तक है। वर्तमान में यहां भाजपा की सरकार है। राष्ट्रपति चुनाव के जरिए भाजपा एक बार फिर पूर्वोत्तर में कमल खिलाने की तैयारी कर ली है।

    2023 तक खाली होंगी छह राज्यसभा सीटें

    राज्य                खाली होने वाली सीट

    गोवा                           एक

    गुजरात                       तीन

    पश्चिम बंगाल                छह

    2018 की हार से लिया सबक

    वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार की मुख्य वजह आदिवासी वोट बैंक रहा था। इन चुनावों में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा से मुंह मोड़ लिया था। इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 27 पर जीत दर्ज की थी। 2018 में आदिवासी वोट बैंक के मुंह मोड़ने के बाद भाजपा ने इस तरफ फोकस किया और 2019 के लोकसभा चुनावों में आदिवासियों की 31 सीटें जीतने में सफलता मिली। आदिवासी समुदाय के जरिए भाजपा आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में विपक्ष को पटखनी देने की तैयारी में है।

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