कांग्रेस संगठन की कमजोरी पर कार्यसमिति के भीतर भी मुखर दिखे दिग्विजय सिंह, उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में दिग्विजय सिंह ने पार्टी की केंद्रीयकृत व्यवस्था और संगठनात्मक कमजोरी पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने निचले स्तर पर ...और पढ़ें

दिग्विजय सिंह। (फाइल)
जागरण ब्यूरो,नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक शनिवार को वैसे तो मनरेगा की जगह जी रामजी शुरू करने के विरोध में पार्टी का देशव्यापी अभियान शुरू करने के लिए बुलाई गई है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जिस तरह से बैठक से पहले और बैठक के भीतर भी पार्टी संगठन की केंद्रीयकृत व्यवस्था पर सवाल खड़े किए उससे न सिर्फ पार्टी के वरिष्ठ नेता असहज दिखे बल्कि सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हुए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब तक पार्टी को निचले स्तर पर सशक्त नहीं बनाया जाएगा, तब तक पार्टी का भला नहीं हो सकता है। उन्होंने अहमदाबाद, रायपुर और जयपुर में हुए मंथन बैठकों में पार्टी संगठन में बदलाव को लेकर दिए गए फैसले में अधिकांश पर अमल न होने का भी मामला उठाया। बताया जाता है कि पार्टी के कई दूसरे नेताओं की मौन सहमति थी।
दिग्विजय सिंह ने बैठक से पहले आरएसएस और भाजपा के संगठन की प्रशंसा की थी। बैठक के भीतर उन्होंने कहा कि पार्टी ने राज्य व जिला स्तर के नीचे भी कमेटी गठन करने का फैसला लिया था। लेकिन अब तक यह कमेटी नहीं गठित हो पायी। साथ ही पार्टी की ओर से चुनाव प्रबंधन समिति भी बनाने का एक फैसला लिया गया था, जिस पर पार्टी की शीर्ष नेतृत्व अब चुप है।
सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय सिंह ने बैठक में इशारों-इराशों में यह भी कह दिया कि केंद्रीय स्तर पर बैठे लोग ही इसे आगे नहीं बढ़ाना चाहते है। वह चाहते है पहले जैसी केंद्रीयकृत व्यवस्था बनी रहे। जबकि पार्टी को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि पार्टी में निचले पर भी काम करने वालों को मौका दिया जाए।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पार्टी नेताओं से कहा कि 2027 में जिन राज्यों में चुनाव होने है, वह अभी से उन राज्यों में काम पर लग जाए। कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करे। एसआइआर में यदि किसी का गलत तरीके से नाम कट गया है तो उसका आपत्ति दर्ज कराए।
गौरतलब है कि पहले भी कई नेताओं व सदस्यों की ओर से इस तरह के सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। लेकिन पार्टी में स्थिति जस की तस बरकरार है। अब कांग्रेस कार्यसमिति में उठे सवाल के बाद नेतृत्व पर ज्यादा दबाव होगा।

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