फडणवीस के सीएम बनने का रास्ता साफ! शिंदे ने क्यों छोड़ी दावेदारी; पढ़ें Inside स्टोरी
महाराष्ट्र के कार्यवाहक सीएम शिंदे ने कहा कि मैंने कल प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को फोन किया और उनसे सीएम पर फैसला करने को कहा। वे जो भी फैसला लेंगे मैं उसका पालन करूंगा। अब गेंद पूरी तरह से मोदी और शाह के पाले में है कि वह फडणवीस और अजीत पवार में से ही किसी एक को मुख्यमंत्री बनाते हैं या कोई नया समीकरण सामने ले आते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? इसको लेकर संशय अब भी बरकरार है। बुधवार को महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि वह भाजपा से ही होगा महाराष्ट्र का अलगा मुख्यमंत्री। महाराष्ट्र के अलगे मुख्यमंत्री के नाम पर भाजपा नेतृत्व के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं बनेंगे। हम एकसाथ थे और रहेंगे। एकनाथ शिंदे के इस बयान के बाद भाजपा के लिए तीसरी बार देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
देवेंद्र फडणवीस का समर्थन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का परिणाम आए चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन आज भी नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं हो सकी है। एकनाथ शिंदे के आज के बयान से यह तो साफ हो गया है कि वह पुनः मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार गुट ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का समर्थन करने की बात कही है।
अजीत पवार के नाम की भी दावेदारी
राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने साफ कहा है कि यदि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो उनकी पार्टी अजीत पवार के नाम की भी दावेदारी पेश करेगी। क्योंकि उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट शिवसेना से ज्यादा है। भुजबल के बयान से संकेत मिलता है कि अजीत पवार नहीं चाहते कि एकनाथ शिंदे पुनः मुख्यमंत्री बनें, और उनके अधीन अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में काम करना पड़े।
भाजपा की बढ़ी ताकत
लेकिन महायुति में 132 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरी भाजपा ने अभी तक सीएम के नाम को लेकर कोई साफ संकेत नहीं दीये हैं। यहां तक कि अभी भाजपा विधायक दल का नेता भी नहीं चुना गया है। बता दें कि पांच निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। उनके समर्थन से भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 137 हो गई है।
संघ की रही बड़ी भूमिका
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद महाराष्ट्र में भाजपा की जो दुर्दशा हुई थी, उसके बाद कोई कल्पना भी नहीं कर रहा था कि छह माह बाद भाजपा को महाराष्ट्र में इतनी बड़ी जीत मिलेगी। संघ के सहसरकार्यवाह अतुल लिमये और भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। विभिन्न समूहों के नेताओं से संपर्क साधा और उनकी सीधी बैठकें देवेंद्र फडणवीस के साथ करवाई गईं। ऊपर से नीचे तक ऐसी बैठकें सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में हुईं। इसका परिणाम अब सबके सामने है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शिंदे की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हमारे शीर्ष नेतृत्व ने जो-जो निर्णय किया, उसे स्वीकार किया है। उन्होंने कभी हमारे नेतृत्व को नकारने का काम नहीं किया है। उन्होंने आज भी जो निर्णय किया है, वह महाराष्ट्र को आगे ले जाने का काम करेगा। बावनकुले ने कहा कि महायुति के नेता राज्य की 14 करोड़ जनता के लिए लड़ते हैं, ना कि मुख्यमंत्री पद के लिए। जबकि महाविकास आघाड़ी में मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ाई होती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को हुए थे और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए। मंगलवार को एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन को सीएम पद से इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने शिंदे से अनुरोध किया कि नई सरकार बनने तक वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहें।
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