उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद जेपीसी बहिष्कार पर अंतिम निर्णय लेगी कांग्रेस, अभी तक नहीं भेजे हैं सांसदों के नाम
विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए में कांग्रेस की दुविधा के कारण प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल जाने के 30 दिन बाद बर्खास्त करने संबंधी विधेयक पर प्रस्तावित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का स्वरूप अभी तक तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस ने अभी तक जेपीसी के बहिष्कार का औपचारिक एलान नहीं किया है पर अपने सांसदों के नाम भी नहीं भेजे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी आईएनडीआइए गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस की दुविधा के कारण प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों को जेल जाने के 30 दिन बाद बर्खास्त करने संबंधी विधेयक पर प्रस्तावित संयुक्त संसदीय समिति का स्वरूप संसद सत्र खत्म होने के एक पखवाड़े बाद भी अभी तक तय नहीं हो पाया है।
जबकि एक देश, एक चुनाव संबंधी बिल हो या वफ्फ संशोधन विधेयक इन पर जेपीसी का गठन होने में देर नहीं लगी थी। विपक्षी खेमे के चार प्रमुख दलों ने पहले ही इस जेपीसी का बहिष्कार करते हुए इसमें अपने सदस्यों के नाम भेजने से इंकार कर चुकी हैं मगर कांग्रेस का असमंजस कायम है। पार्टी ने अभी तक जेपीसी के बायकाट का औपचारिक एलान नहीं किया है पर अपने सांसदों के नाम भी लोकसभा अध्यक्ष को नहीं भेजे हैं।
सदस्यों को मनोनीत करने का पत्र भेजा गया
लोकसभा स्पीकर की ओर से मुख्य विपक्षी दल को जेपीसी के लिए अपने सदस्यों को मनोनीत करने का पत्र भेजा गया है। हालांकि पार्टी की ओर से दिए जा रहे संकेतों से साफ है कि कांग्रेस जेपीसी में शामिल होकर विपक्ष के अपने असहज-नाराज कर गठबंधन की एकता को जोखिम में नहीं डालना चाहती। सूत्रों के अनुसार जेपीसी के गठन में हो रहे विलंब के मद्देनजर स्पीकर तथा संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से कांग्रेस से संवाद किया जा रहा है।
मगर पार्टी ने अपने सांसदों का नाम भेजने को लेकर हां या ना संबंधी कोई ठोस जवाब नहीं दिया है।मालूम हो कि मानसून सत्र के आखिरी दिनों में 20 अगस्त को 130वां संविधान संशोधन विधेयक सरकार ने पेश किया जिसमें पीएम-सीएम से लेकर मंत्रियों को जेल जाने के 30 दिन बाद स्वत: बर्खास्त करने का प्रावधान है। विपक्षी दलों ने विधेयक का पेशी के दौरान ही जबरदस्त विरोध किया था।
जेपीसी पर शीर्ष नेतृत्व अंतिम निर्णय लेगा
कांग्रेस तथा टीएमसी समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने इसे गैर भाजपा, गैर एनडीए राज्यों के मुख्यमंत्रियों-मंत्रियों को सत्ता से बाहर करने के लिए हथियार बनाने का विधेयक करार दिया था। कांग्रेस मुखर रूप से इसका विरोध कर रही है मगर अपनी दुविधा का पटाक्षेप करने में वक्त लगा रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि उपराष्ट्रपति पद के लिए नौ सितंबर को होने वाले चुनाव के बाद जेपीसी पर शीर्ष नेतृत्व अंतिम निर्णय लेगा जिसके बाद औपचारिक रूख साफ किया जाएगा।
आईएनडीआइए के घटक दल तृणमूल कांग्रेस, सपा तथा शिवसेना यूबीटी पहले ही इस जेपीसी का बहिष्कार करने का एलान कर चुके हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन से अलग होने के बावजूद राजनीतिक मुद्दों पर उसके साथ खड़ी आम आदमी पार्टी भी जेपीसी में शामिल नहीं होने का फैसला ले चुकी है। जाहिर तौर पर यह कांग्रेस के कदमों से तय होगा कि जेपीसी में विपक्ष की भागीदारी होगी या नहीं। वैसे पार्टी नेताओं ने अनौपचारिक तौर पर स्वीकार किया कि सपा, टीएमसी जैसे सहयोगी दलों के रूख को देखते हुए विपक्षी एकजुटता की खातिर जेपीसी पर अलग लाइन लेना मुश्किल है।
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