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    'जेल से शासन’ पर लगेगा पूर्णविराम! 130वें संविधान संशोधन पर क्या है मोदी सरकार का प्लान?

    विपक्षी दलों के जेपीसी के बहिष्कार के बीच सरकार 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर आगे बढ़ रही है। अमित शाह ने कहा कि जेपीसी के बहिष्कार के बाद सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा था कि कोई जेल से सरकार चलाएगा। शाह ने कहा कि जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र का अपमान है।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 25 Aug 2025 09:00 PM (IST)
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    विपक्ष के जेपीसी के बहिष्कार के बावजूद 130वें संविधान संशोधन पर आगे बढ़ेगी सरकार।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी दलों के जेपीसी के बहिष्कार के ऐलान के बीच सरकार ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर आगे बढ़ने का संकेत दिया है। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक न्यूज एजेंसी को दिये साक्षात्कार में साफ कर दिया कि ''अगर जेपीसी बनाने का निर्णय होने के बाद भी कोई भी पार्टी इसका बहिष्कार करती है तो सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है।''

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    उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को बात रखने का मौका देती है, लेकिन यदि विपक्ष अपनी बात रखना ही नहीं चाहता तो देश की जनता सब देख रही है। ध्यान देने की बात है कि टीएमसी और समाजवादी पार्टी ने जेपीसी में नहीं शामिल होने का फैसला किया है। कांग्रेस व अन्य विपक्ष दलों ने ऐसा ही करने का संकेत दिया है।

    130वें संविधान संशोधन की जरूरत बताते हुए अमित शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे नेता भी आएंगे, जो जेल में रहकर सरकार चलाएंगे। इस सिलसिले में उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली व तमिलनाडु के मंत्रियों का हवाला दिया, जिन्होंने जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देने का नया ट्रेंड शुरू हो गया है।

    किसी प्रधानमंत्री, मंत्री और मुख्यमंत्री का जेल से सरकार चलाना देश के लोकतंत्र के लिए अपमान है। उनके अनुसार सरकार के सचिव और मुख्य सचिव प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री का आदेश लेने के लिए जेल में जाएं, यह हमारे लोकतंत्र के लिए शोभा नहीं देता है। उन्होंने इस कानून के आने के बाद कोर्ट से जमानत मिलने में देरी होने की विपक्ष की आशंकाओं को भी खारिज कर दिया।

    शाह ने कहा कि इससे फैसला जल्दी होगा क्योंकि हमारी अदालतें भी कानून की गंभीरता को समझती है। अमित शाह के अनुसार मूल विधेयक में प्रधानमंत्री को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया था, लेकिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं अपने आप को इसके तहत रखा है। विधेयक के पास होने की स्थिति में विपक्षी मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि यह हमारे मुख्यमंत्रियों के लिए भी है।

    उन्होंने सरकार के लोगों के खिलाफ एफआइआर नहीं होने के विपक्ष के आरोप भी गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश से 12 एफआइआर दर्ज कराये गए थे। ठोस सबूतों के साथ अदालत जाने का रास्ता सबके लिए खुला है।

    उन्होंने एक बार फिर साफ किया कि फर्जी केस में फंसाए जाने के बावजूद उन्होंने न सिर्फ अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, बल्कि दोषमुक्त हुए बिना कोई भी संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया था।

    अमित शाह के अनुसार इस विधेयक पर राजग के सभी सहयोगी दल पूरी तरह से सहमत हैं। उन्होंने विधेयक के संसद में पारित होने पर भरोसा जताते हुए कहा कि विपक्ष मे भी कयी लोग ऐसे होंगे, जो नैतिकता के आधार पर इसका समर्थन करेंगे। लेकिन पार्टी के व्हिप लाइन से बंधे सांसद ऐसा कैसा करेंगे, उन्होंने स्पष्ट नहीं किया।

    सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ आरोपों पर कायम

    अमित शाह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते हुए जस्टिस सुदर्शन रेड्डी द्वारा नक्सलियों की मदद करने के अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही स्पष्ट है कि कैसे आदिवासियों को स्वरक्षा करने के अधिकार को छिन लिया गया।

    इसके कारण बहुत सारे जवानों और आदिवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि सिर्फ वामपंथी विचारधारा के कारण ही विपक्ष ने जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। 

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