Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष की चुनावी सरगर्मी के बीच सोनिया ने आनंद शर्मा से की बात, क्या है सियासी मायने
कांग्रेस नेतृत्व के साथ शर्मा की चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर पिछले दिनों उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर न केवल जाहिर की थी बल्कि प्रदेश चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा तक दे दिया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने की सियासी हलचल के बीच पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को पार्टी के असंतुष्ट खेमे के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा से लंबी बातचीत की। पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार माने जा रहे अशोक गहलोत के नामांकन से पहले इस मुलाकात को पार्टी की अंदरूनी सियासत के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
पार्टी की अंदरूनी सियासत के लिहाज से अहम मानी जा रही यह मुलाकात
कांग्रेस नेतृत्व के साथ शर्मा की चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर पिछले दिनों उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर न केवल जाहिर की थी बल्कि प्रदेश चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा तक दे दिया था। सूत्रों के अनुसार करीब सवा घंटे तक चली मुलाकात का ब्योरा तो नहीं मिला, लेकिन समझा जाता है कि इसमें कांग्रेस अध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश के चुनावों को लेकर चर्चा हुई।
असंतुष्ट खेमे के दूसरे बड़े नेता शर्मा हिमाचल चुनाव समिति से दे चुके हैं इस्तीफा
आनंद शर्मा का राज्यसभा का कार्यकाल इसी साल अप्रैल में खत्म हुआ था और उसके बाद सोनिया से उनकी यह पहली मुलाकात थी। शर्मा असंतुष्ट खेमे के गुलाम नबी आजाद के बाद दूसरे बड़े चेहरा हैं। आजाद अब पार्टी से अलग हो चुके हैं। हिमाचल प्रदेश चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष पद से जब उन्होंने इस्तीफा दिया था, तब सोनिया गांधी ने उन्हें फोन किया था और चुनावी बैठकों में उनकी अनदेखी की शिकायतों पर सूबे के प्रभारी राजीव शुक्ल को तत्काल दूर करने का निर्देश दिया था।
आनंद शर्मा के अशोक गहलोत से हैं अच्छे रिश्ते
सोनिया ने उनसे इस्तीफा वापस लेने का भी आग्रह किया था और तब शर्मा ने हिमाचल में कांग्रेस के लिए प्रचार करने की घोषणा की थी। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में असंतुष्ट खेमा थरूर पर दांव लगा रहा है, मगर दिलचस्प यह भी है कि आनंद शर्मा के अशोक गहलोत से अच्छे रिश्ते रहे हैं। इस लिहाज से कांग्रेस नेतृत्व का शर्मा को बुलाकर बातचीत करने के अपने सियासी मायने हैं।
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