'वो कांग्रेस पार्षद नहीं, होगी कानूनी कार्रवाई', लद्दाख हिंसा को लेकर भाजपा के दावे पर भड़की कांग्रेस
कांग्रेस ने लद्दाख हिंसा में पार्टी पार्षद की मौजूदगी के आरोपों को झूठा बताकर कानूनी कार्रवाई की घोषणा की है। पवन खेड़ा ने भाजपा और मीडिया पर गलत तस्वीरें प्रसारित करने का आरोप लगाया है। सुप्रिया श्रीनेत ने पार्षद का वीडियो जारी कर आरोपों का खंडन किया। जयराम रमेश ने लद्दाख के लोगों की निराशा और भूमि अधिकारों के खतरे पर चिंता जताई।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने लद्दाख हिंसा के दौरान पार्टी के एक पार्षद के कथित तौर पर मौजूद होने के भाजपा और मीडिया के दावों को झूठा बताते हुए आपराधिक कानूनी कार्रवाई करने की घोषणा की है। साथ ही पार्टी ने लद्दाख हिंसा में चार युवकों की हत्या की न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर यथाशीघ्र कार्रवाई होनी चाहिए।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भाजपा के कई नेताओं के साथ कुछ टीवी न्यूज चैनल के एंकरों और सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों पर किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर और फुटेज को कांग्रेस के निर्वाचित पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग के रूप में गलत तरीके से पेश किए जाने का दावा किया।
कांग्रेस ने क्या लगाया आरोप?
पवन खेड़ा ने एक्स पोस्ट में कहा कि ''हम उन सभी लोगों के खिलाफ कानूनी और आपराधिक कार्यवाही कर रहे हैं जिन्होंने न केवल हमारी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की है, बल्कि सामाजिक अशांति पैदा करके और भी मतभेद पैदा करने की कोशिश की है।''
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि लद्दाख के लोगों के साथ संवेदनशीलता से जुड़ने की बजाय, भाजपा और उनके मीडिया व सोशल मीडिया के गुर्गे अपनी आदत के अनुसार कीचड़ उछाल रहे हैं। साथ ही लद्दाख के आक्रोश का फायदा उठाकर राजनीतिक विरोधियों से हिसाब बराबर करने का मौका तलाश रहे हैं।
सुप्रिया श्रीनेत ने क्या कहा?
कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने लद्दाख के इस पार्टी पार्षद का वीडियो एक्स पर जारी करते हुए उनके हवाले से कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि मैं लद्दाख हिंसा में शामिल था, यह बिल्कुल गलत है। उस वीडियो में दिख रहा व्यक्ति मैं नहीं हूं। गलत बात कहने वाले सब लोगों पर मैं मानहानि का मुकदमा करूंगा।
जयराम रमेश ने क्या कहा?
वहीं कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में कहा कि छह साल पहले जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब वहां के लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन आज हालात बिल्कुल अलग हैं, लोग गहरी निराशा और मोहभंग की स्थिति में हैं क्योंकि उन्होंने देखा है कि उनकी जमीन और रोजगार के अधिकार गंभीर खतरे में हैं। स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित निकायों पर पूरी तरह उपराज्यपाल और नौकरशाही का नियंत्रण है। संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा और निर्वाचित विधायिका की उनकी जायज मांगों पर सिर्फ बैठकें होती रही हैं कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ।
जयराम ने दावा किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा यथास्थिति के एकतरफा उल्लंघन और प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को चीन को दी गई क्लीन चिट ने भी भारी अनिश्चितता पैदा की है।
यह भी पढ़ें- 9 भाषाओं का ज्ञान, फेल हुए बच्चों को स्कूल में दिलाते दाखिला... थ्री इडियट्स वाले सोनम वांगचुक की कहानी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।