बिहार से बंगाल तक... विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने बदली रणनीति, खरगे-राहुल ने नेताओं को दिया नया टास्क
खरगे और राहुल गांधी ने बीते 28 फरवरी को केरल के तमाम वरिष्ठ नेताओं जिसमें शशि थरूर भी शामिल थे कि बैठक बुलाकर गुटबाजी खत्म कर चुनावी तैयारी में कूदने का निर्देश दिया था। मणिपुर के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम इबोबी सिंह और प्रदेश के नए पार्टी प्रभारी सप्तगिरि उलाका ने भी दो हफ्ते पहले एआईसीसी में आकर चुनाव के लिए कम कसर कर तैयारी करने का भरोसा दिया था।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। अपने संगठनात्मक ढांचे को दुरूस्त करने की पहल शुरू करने के बाद कांग्रेस सियासत बदलने के भरोसे और तेवरों के साथ राज्यों के चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति को सिरे चढ़ाने की कसरत करती दिख रही है। इसे आगे बढ़ाने के लिए पार्टी हाईकमान ने खुद चुनावी राज्यों के कांग्रेस नेताओं के साथ चुनाव की तैयारियों और रणनीति पर मंत्रणाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद बीते एक महीने के दौरान पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल से लेकर मणिपुर जैसे राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर शीर्ष नेतृत्व ने चुनावी चर्चा की है। इन चर्चाओं में कांग्रे नेतृत्व ने राज्य इकाईयों को दो टूक संदेश दिया है कि पार्टी अपने चुनावी हितों से किसी तरह का समझौता नहीं करेगी।
कांग्रेस नेतृत्व की रणनीति
बिहार के नेताओं की भी प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष राजेश कुमार की नियुक्ति के बाद हाईकमान के साथ जल्द बैठक बुलाए जाने के संकेत हैं। राज्यों के चुनाव में पार्टी की सियासी जमीन मजबूत करने को लेकर कांग्रेस नेतृत्व की इस रणनीति का संकेत बुधवार को पश्चिम बंगाल के नेताओं के साथ हुई बैठक से मिलता है।
सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान ने राज्य के कांग्रेस नेताओं को ममता बनर्जी सरकार की खामियों-नीतियों खिलाफ निडर और मुखर होकर आलोचना करने की हरी झंड़ी दी। तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए का हिस्सा है और ऐसे में बंगाल के नेताओं ने ममता सरकार पर प्रहार करने की अपनी दुविधाओं का मुद्दा बैठक में उठाया।
राहुल गांधी ने भी खरगे की राय का समर्थन किया
सूत्रों के मुताबिक इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ कहा कि बेशक राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा मुख्य प्रतिद्वंदी है मगर बंगाल में टीएमसी की सरकार है और राज्य इकाई को उसकी गलत नीतियों-फैसलों के खिलाफ आवाज उठाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी खरगे की राय का समर्थन किया।
कांग्रेस के दृष्टिकोण में बदलाव के संकेत
बंगाल कांग्रेस के नेताओं को यह स्पष्ट कर दिया गया कि संसद में आपसी सहयोग-समन्वय का मसला राज्य के चुनाव से बिल्कुल अलग है। आईएनडीआईए गठबंधन राज्यों के चुनाव के लिए नहीं है। हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के उपरांत राज्यों के चुनाव को लेकर कांग्रेस के दृष्टिकोण में बदलाव के संकेत नजर आने लगे हैं।
पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा
दिल्ली चुनाव में पहली झलक दिखी जब कांग्रेस ने विपक्षी खेमे के तमाम दबावों को नकारते हुए आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ा। चाहे सीट एक भी नहीं मिली मगर पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा और 14 सीटों पर आप की हार में कांग्रेस को मिले वोट निर्णायक रहे।
चुनाव में बड़ा मौका देख रही कांग्रेस
बंगाल में टीएमसी पर पार्टी के इस रूख का संकेत साफ है कि कांग्रेस अगले साल वहां होने वाले विधानसभा चुनाव को केवल टीएमसी बनाम भाजपा का मुकाबला नहीं बनने देना चाहती। आम आदमी पार्टी की दिल्ली की हार के बाद कांग्रेस पंजाब के अगले चुनाव में बड़ा मौका देख रही है, इसीलिए पिछले तीन हफ्ते के दौरान सूबे के नेताओं संग नए प्रभारी महासचिव भूपेश बघेल की दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं।
चुनावी तैयारियों की शुरूआती रणनीति
पिछले हफ्ते कांग्रेस के नए मुख्यालय में पंजाब कांग्रेस नेताओं की बैठक में चुनावी तैयारियों की शुरूआती रणनीति पर लंबी चर्चा हुई। केरल में भी अगले साल ही चुनाव हैं जहां कांग्रेस सत्ता की दावेदारी में है मगर प्रदेश नेताओं की गुटबाजी हाईकमान के लिए चुनौती है।
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