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    कल से शुरू होगा 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' अभियान, कांग्रेस ने 13 महीने के आंदोलन का किया एलान

    कांग्रेस ने गुरुवार को बेलगावी अधिवेशन में 13 महीने लंबे आंदोलन का एलान किया है। यह आंदोलन दो चरणों में चलेगा। पहले चरण की शुरुआत 27 दिसंबर 2024 को बेलगावी से होगा। इसका नाम जय भीम जय संविधान रखा गया है। यह अभियान 26 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश के महू में समाप्त होगा। 26 जनवरी से दूसरे चरण की शुरुआत होगी। यह अभियान 27 जनवरी 2026 तक चलेगा।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 26 Dec 2024 09:41 PM (IST)
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    कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस की नव सत्याग्रह बैठक। ( फोटो- पीटीआई )

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने संसद में आंबेडकर अपमान विवाद के साथ संविधान पर प्रहार के खिलाफ जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की अपनी रूपरेखा का एलान कर दिया है। कर्नाटक के बेलगावी में हुई विस्तारित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रस्ताव पारित कर 27 दिसंबर 2024 से 27 जनवरी 2026 तक 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' आंदोलन चलाए जाने पर मुहर लगा दी।

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    इस लंबे अभियान के दौरान पदयात्रा, सेमिनार, रैलियों से लेकर परिचर्चाओं के जरिए गांव-गांव तक कांग्रेस संविधाान और लोकतंत्र को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ जनता को जागरूक करेगी।

    गुजरात में होगा महाधिवेशन

    इसी कड़ी में गुजरात में अप्रैल महीने में कांग्रेस का महाधिवेशन भी बुलाने का फैसला पार्टी ने किया है। जबकि कांग्रेस संगठन का नए सिरे से कायाकल्प करने के लिए संगठन पुनरोद्धार कार्यक्रम 2025 लांच कर बूथ से लेकर शीर्ष संगठन तक तेजी से संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करने की घोषणा भी की है। कार्यसमिति ने 100 दिनों के भीतर होने वाले संगठन सृजन कार्यक्रम की रूपरेखा को मंजूरी देते हुए इस पहल की सराहना भी की है।

    भाजपा पर लगाया तनाव भड़काने का आरोप

    कार्यसमिति ने राजनीतिक प्रस्ताव में आंबेडकर अपमान मुद्दे, उत्तर प्रदेश की सांप्रदायिक हिंसा, मणिपुर हिंसा से लेकर चुनाव नियमों में बदलाव के फैसलों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। पार्टी ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए भाजपा-आरएसएस पर राजनीतिक लाभ के लिए संभल और अन्य स्थानों में जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप भी लगाया है।

    बापू की विरासत को संरक्षित करने का आहृवान

    वहीं बापू की विरासत से जुड़े दूसरे प्रस्ताव में सभी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर महात्मा गांधी की बहुमूल्य विरासत को संरक्षित कर उसकी रक्षा करने के साथ उसे प्रमोट करने के लिए पुरजोर प्रयास करने का भी कांग्रेस जनों से आहृवान किया गया है।

    कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर महात्मा गांधी के अधिवेशन की अध्यक्षता करने की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर बेलगावी में आयोजित कार्यसमिति की बैठक में पारित दोनों प्रस्तावों को साझा करते हुए संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 13 महीने के आंदोलन का अभियान बहुत बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम है।

    बेलगावी से शुरू होगा 'जय भीम जय संविधान' अभियान

    उन्होंने बताया कि गांव-गांव तक संविधान-लोकतंत्र पर गहराते खतरों के साथ-साथ महंगाई, बेरोजगारी, असमानता, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे ज्वलंत मसलों पर मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों को पहुंचाया जाएगा। 27 दिसंबर को बेलगावी रैली से 'जय भीम, जय संविधान' अभियान शुरू करेगी। इसका समापन 26 जनवरी 2025 को महू में एक रैली से होगा।

    50 नेताओं ने रखी अपनी बात

    महात्मा की विरासत के साथ-साथ संविधान को संरक्षित और प्रमोट करने के लिए दूसरे चरण में आंदोलन 26 जनवरी 2025 से 27 जनवरी 2026 तक चलेगा। वेणुगोपाल ने कहा कि संगठन के पुनरोद्धार के लिए रि-वैमपिंग प्रोगाम 2025 ऊपर से लेकर बूथ स्तर तत्काल शुरू किया जाएगा। कार्यसमिति की बैठक को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ-साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी संबोधित किया और करीब 50 नेताओं ने चर्चा के दौरान अपनी बात रखी।

    शाह के इस्तीफे की उठी मांग

    कार्यसमिति से पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि हमारा गणतंत्र 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है तब संविधान को सबसे गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। गृहमंत्री अमित शाह से जुड़े आंबेडकर अपमान विवाद को संविधान कमजोर करने के भाजपा-संघ के पुराने प्रोजेक्ट का हिस्सा बताते हुए शाह के इस्तीफे और माफी की मांग दोहराई गई है।

    चुनाव नियम संशोधन की निंदा की

    चुनावी पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों और लोकतंत्र में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया जैसी संस्थाओं का कार्यपालिका के दबाव के माध्यम से राजनीतिकरण किया गया है। एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक इस लिहाज से बढ़ा खतरा है। चुनाव संचालन नियम 1961 में केंद्र सरकार के संशोधन की निंदा करते हुए कहा गया है कि यह चुनाव की पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर करता है।

    कांग्रेस का दावा- मंदी से गुजर रही अर्थव्यवस्था

    प्रस्ताव में जातिगत जनगणना कराए जाने और एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण की वर्तमान 50 फीसद की अधिकतम सीमा को बढ़ाए जाने की पैरोकारी भी की गई है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए प्रस्ताव में दावा किया गया है कि अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी से गुजर रही है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां केवल प्रधानमंत्री के कुछ पसंदीदा व्यापारिक समूहों को समृद्ध करने के लिए बनाई गई हैं जो एकाधिकार बढ़ा रहे हैं।

    मनरेगा मजदूरी बढ़ाने की मांग

    कांग्रेस ने आगामी केंद्रीय बजट में गरीबों को आय सहायता और मध्यम वर्ग को टैक्स में छूट देने की मांग भी की। जबकि किसानों के बढ़ते इनपुट लागत और अपर्याप्त एमएसपी समस्या का तत्काल समाधान निकालने की आवाज बुलंद की गई है। वहीं मनरेगा की मजदूरी दर 400 रुपये प्रति दिन तक बढ़ाने की वकालत भी की गई है। वहीं चीन से पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर बनी सहमति के संबंध में सरकार से समूचे विपक्ष को विश्वास में लेते हुए संसद में व्यापक चर्चा की मांग की रखी गई है।

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