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    निशिकांत दुबे ने कौन-सा गोपनीय पत्र किया शेयर? कहा- पाक से सुलह के लिए राजीव गांधी ने अमेरिका से मांगी थी मदद

    Updated: Thu, 29 May 2025 03:13 PM (IST)

    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान हुए एक समझौते को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए परमाणु समझौते को लेकर उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दबाव में आकर किया गया समझौता था।

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    निशिकांत दुबे ने राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस सरकार पर लगाए आरोप (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 1988 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए परमाणु समझौते को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ा दावा किया है। राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते को लेकर उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के दबाव में हुआ था।

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    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक गोपनीय पत्र साझा करते हुए भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत का एजेंडा तय किया था।

    निशिकांत दुबे का पोस्ट

    निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, "अमेरिकी दबाव में हमने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया से बात की थी। वार्ता का एजेंडा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने तय किया था।"

    उन्होंने लिखा, "इस पत्र के बाद हम समझ गए कि पाकिस्तान और हमने 1988 में अमेरिकी दबाव में परमाणु समझौता किया था। कांग्रेस क्यों नाराज है? जब मैंने यह पत्र देखा तो मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई।"

    कौन-सा गोपनीय पत्र किया साझा?

    अपने एक्स पोस्ट में पत्र की एक प्रति शेयर करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि यह पत्र रीगन द्वारा राजीव गांधी को संबोधित किया गया था। दुबे ने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार पर अपनी विदेश नीति के निर्णयों में अमेरिकी हितों के साथ तालमेल करने का भी आरोप लगाया।

    कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने लिखा, "अफगानिस्तान समस्या पर हमने अपने मित्र सोवियत रूस से जो भी बात की, वह अमेरिकी एजेंडा था। क्या यह शिमला समझौता है? क्या आयरन लेडी गुलामी की मानसिकता है? क्या हम उस समय एक संप्रभु राष्ट्र थे? क्या कांग्रेस भारत को मजबूत बनाने के लिए मोदी जी को गाली दे रही है?"

    क्या था समझौता?

    बता दें, 1988 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते को आधिकारिक तौर पर परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमले के निषेध पर समझौते के रूप में जाना जाता है, इसपर 31 दिसंबर 1988 को साइन किया गया था और 27 जनवरी 1991 से यह लागू हुआ था।

    इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान को परमाणु सुविधाओं की सूची सालाना साझा करने और एक-दूसरे के परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमला करने से परहेज करने के लिए बाध्य करता है।

    निशिकांत दुबे ने राजीव गांधी द्वारा रीगन को पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता की मांग करते हुए कथित तौर पर लिखे गए एक पत्र का भी जिक्र किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह कदम 1972 के शिमला समझौते का उल्लंघन है, जिसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर रोक है।

    इंदिरा गांधी पर भी लगाए आरोप

    इससे पहले भी निशिकांत दुबे ने 1971 के एक गोपनीय अमेरिकी खुफिया केबल को पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि इंदिरा गांधी ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र युद्ध विराम पर सहमति जताई थी।

    कांग्रेस ने विदेश मंत्री की आलोचना की

    इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता में संभावित अमेरिकी मध्यस्थता के बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की कथित टिप्पणियों पर चुप रहने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर की आलोचना की है।

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