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    'पाकिस्तान एक भाई, मित्र और अच्छा पड़ोसी...' नेहरू की लिखी चिट्ठी पर मचा सियासी घमासान; कांग्रेस पर जमकर बरसे निशिकांत दुबे

    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर नेहरू के समय में अमेरिका को लिखे पत्र को पाकिस्तान से साझा करने का आरोप लगाया। दुबे ने कहा कि नेहरू ने पाकिस्तान को भाई और मित्र बताया था और उनके साथ समझौता करने की बात की थी। दुबे ने सवाल उठाया कि क्या इस पत्र ने पाकिस्तान को 1965 में भारत पर हमला करने का अवसर दिया।

    By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 02 Jun 2025 07:56 PM (IST)
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    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिखे पत्र पर उठाए सवाल।(फाइल फोटो)

    आइएएनएस,नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ''पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सूचित करने'' संबंधी टिप्पणियों की विपक्षी दल कांग्रेस के आलोचना करने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों की विदेश नीति के पिछले रिकॉर्ड पर हमले तेज कर दिए हैं।

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    आक्रामक राजनीतिक शैली के लिए जाने जानेवाले भाजपा नेता दुबे ने कांग्रेस पर तीखे वार करने के लिए एक बार फिर इतिहास का सहारा लिया है। उन्होंने 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को लिखे गए एक अन्य 'डिक्लासिफाइड' पत्र को साझा किया।

    पत्र को अमेरिका ने पाकिस्तान को साझा किया था 

    यह पत्र 16 नवंबर, 1962 को लिखा गया था, जिसे दुबे के अनुसार, बाद में अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ साझा किया। वह इसे कांग्रेस नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के प्रति कमजोर दृष्टिकोण के सुबूत के रूप में पेश कर रहे हैं।

    भाजपा नेता दुबे ने अपने पोस्ट में व्यंग्य करते हुए कहा, ''महान नेहरू जी की उत्कृष्ट विदेश नीति को ध्यान से पढ़ें। इसमें सब कुछ लिखा गया था। नेहरु ने पत्र में लिखा था कि पाकिस्तान एक भाई, एक मित्र, एक अच्छा पड़ोसी है, हम उनके साथ एक समझौता करेंगे।''

    पत्र में क्या लिखा था?

    उन्होंने नेहरू के पत्र से एक अंश साझा किया, जिसमें लिखा था, ''पाकिस्तान के साथ किसी भी संघर्ष का विचार हमारे लिए अप्रिय है और हम अपनी ओर से इसे कभी शुरू नहीं करेंगे। मुझे विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान का भविष्य उनकी मित्रता और सहयोग में है, जो दोनों के लाभ के लिए है।'' अमेरिका ने यह पत्र उस समय के पाकिस्तानी सैन्य शासक अयूब खान से साझा किया था।

    उन्होंने सवाल उठाया, ''क्या इस पत्र को देखने के बाद हमने पाकिस्तान को 1965 में भारत पर हमला करने का अवसर नहीं दिया? एक नेता के बारे में क्या कहा जाए जो देश की कमजोरियों को विदेशी शक्तियों, विशेष रूप से पाकिस्तान के सामने उजागर करता है?''

    राजीव गांधी के लिखे पत्र पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं निशिकांत दुबे 

    यह पहली बार नहीं है जब दुबे ने कांग्रेस सरकारों पर हमले के लिए खुफिया सूची से हटाए गए दस्तावेजों का सहारा लिया है। हाल के महीनों में उन्होंने अमेरिका के कूटनीतिक केबल्स और पत्राचार के अंश से 1962 के चीन युद्ध से लेकर 1972 के शिमला समझौते तक साझा किए।

    दुबे ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लिखे एक खुफिया पत्र का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी पर भारत-पाकिस्तान कूटनीति में अमेरिकी भागीदारी पर सवाल उठाने के लिए पाखंड का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1968 में युद्ध के बाद की सीमा समझौते के हिस्से के रूप में कच्छ का भारतीय क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिया था।।

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