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    अब जय श्री राम नहीं, गूंजेगा मां काली का नाम... चुनाव से पहले बंगाल में भाजपा ने दिए बदलाव के संकेत

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 12:35 PM (IST)

    बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जय श्रीराम नारे की जगह मां काली और दुर्गा की आराधना में जुट गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषण की शुरुआत मां काली के नाम से की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा बंगालियों का दिल जीतने के लिए यह बदलाव कर रही है क्योंकि जय श्रीराम नारे से उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ।

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    बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी बदला दांव। (फाइल फोटो)

    जेएनएन, कोलकाता। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में इस बार भाजपा की रणनीति में बदलाव के संकेत देखने को मिल रहे हैं। भगवा खेमा इस बार राम नाम का जप छोड़ मां काली, मां दुर्गा की आराधना में जुट गया है। माना जा रहा है कि यह बदलाव बंगालियों का दिल जीतने के लिए है, क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में बंगाल में भाजपा को जय श्रीराम नारे का कोई खास फायदा देखने को नहीं मिला है।

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    हाल के घटनाक्रम भाजपा की मां काली, मां दुर्गा के प्रति अचानक उमड़ी भक्ति को और पुख्ता कर रहे हैं। पिछले दिनों नए प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य के अभिनंदन समारोह में मां काली की तस्वीर लगाई गई थी, जिसपर बारी-बारी से भाजपा नेताओं ने माल्यार्पण किया।

    पीएम मोदी ने भी मां काली के नाम से की भाषण की शुरुआत

    गुरुवार को राज्य के दुर्गापुर में हुई सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत मां काली, मां दुर्गा के नाम से की थी। इतना ही नहीं पीएम की सभा के आमंत्रण पत्र में भी मां काली के नाम का जिक्र था। और तो और नेता प्रतिपक्ष में सुवेंदु अधिकारी ने मंच पर पीएम मोदी को मां दुर्गा की मूर्ति भेंट की। पीएम मोदी को गेंदा अथवा गुलाब नहीं बल्कि रजनीगंधा की माला पहनाई गई, जिसे बंगालियों की पूजा-अर्चना में काफी अहम माना जाता है। सभा से पहले शमिक भïट्टाचार्य मां काली के मंदिर में माथा टेकना नहीं भूले। भाजपा नेता भी अपनी सभाओं में मां काली, मां दुर्गा का नाम ले रहे रहे हैं।

    नहीं हुआ जय श्रीराम का फायदा

    -दरअसल देखा जाए तो पिछले कुछ चुनावों में बंगाल में भाजपा ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए जय श्रीराम नारे को अपना मुख्य हथियार बनाया था, लेकिन उसे इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के प्रति पूरी तरह आशान्वित भाजपा 77 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 हो गई।

    'बंगाली-विरोधी छवि को धूमिल करने की कवायद'

    राजनीतिक विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि बंगाली अस्मिता इस समय बंगाल की राजनीति के एजेंडे में से एक है। सत्तारूढ़ दल ने बंगालियों के एक बड़े वर्ग के मन में भाजपा की एक उग्र हिंदुत्ववादी और बंगाली-विरोधी छवि गढ़ दी है। भाजपा नेतृत्व शायद अब समझने लगा है कि बंगाल फतह के लिए पहले बंगालियों का दिल जितना जरूरी है। इस लिए भाजपा नेता बंगालियों के घर-घर में पूजी जाने वाली मां काली, मां दुर्गा का नाम जपने लगे हैं।

    यह भाजपा की संकीर्ण राजनीति : टीएमसी 

    इस संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि यह भाजपा की संकीर्ण राजनीति का परिचय है। जब उसे जय श्रीराम के नारे फायदा नहीं हुआ तो मां काली, मां दुर्गा का नाम जपने लगी। बंगाल की जनता भाजपा के इस झांसे में आने वाली नहीं है। वहीं शमिक भïट्टाचार्य का कहना है कि हिंदू शुरू से मां काली, मां दुर्गा की पूजा करते आ रहे हैं। यह नई बात नहीं है। भगवान राम ने रावण वध से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी।

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