Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बंगाल में नीला-सफेद रंग को लेकर बरपा हंगामा, कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को क्यों लगाई लताड़

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 02:05 AM (IST)

    कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से सड़कों पर नीले-सफेद रंग के इस्तेमाल पर रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने भारतीय सड़क कांग्रेस के नियमों का पालन न करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए चिह्नों का सही होना जरूरी है। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

    Hero Image
    'भारतीय सड़क कांग्रेस' द्वारा निर्धारित रंगों के बजाय नीला-सफेद रंग क्यों इस्तेमाल किया जा रहा: कलकत्ता हाई कोर्ट

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल के मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की है कि राज्य की सड़कों पर 'भारतीय सड़क कांग्रेस' द्वारा निर्धारित रंगों के बजाय नीला-सफेद रंग क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है।

    न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास दे की खंडपीठ ने मुख्य सचिव मनोज पंत को इस संबंध में हलफनामे के रूप में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद फिर होगी।

    कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार 

    सड़क के रंग संबंधी नियमों को लेकर राज्य सरकार को अदालत में गुरुवार को फटकार भी लगी है। इस दिन ममता सरकार के वकील ने सवाल उठाया कि राज्य इस मामले में शामिल नहीं है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि पद पर रहते हुए झूठा बहाना बनाकर छल न करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज्य प्रशासन का सर्वोच्च पदाधिकारी मुख्य सचिव मामले में शामिल हैं। मालूम हो कि भारतीय सड़क कांग्रेस (आइआरसी) के नियमों में सड़कों को चिह्नित करने के लिए पीले और काले रंग का इस्तेमाल करने का प्रविधान है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद से ममता बनर्जी ने पूरे राज्य में सरकारी इमारतें ही नहीं बल्कि सड़कों के किनारे लगे पत्थर, रोड डिवाइडर, फ्लाइओवर, मेट्रो व ओवर ब्रिजों की रे¨लग व खंभे, पुलिस बैरिकेड सभी में नीले-सफेद रंग से रंगवा दिया।

    इसे लेकर एक मामला दायर किया गया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि नीला-सफेद रंग रात में ²श्य भ्रम पैदा करके दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। इस मामले में, खंडपीठ ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए विशिष्ट चिह्नांकन आवश्यक है। यदि आइआरसी के नियम लोगों के लिए लाभकारी हैं, तो उनका पालन नहीं किया जाना चाहिए।