पश्चिम बंगाल में 33 सीटों पर परचम लहराने की रणनीति पर भाजपा का फोकस, पंचायत चुनाव परिणाम से बढ़ा मनोबल
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में 42 में से 33 सीटें जीतने की रणनीति बनाने में जुटी है। पिछले लोकसभा में भाजपा ने 40.6 फीसद वोट शेयर हासिल किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि जमीनी फोकस आधारित रणनीति के सहारे बंगाल में लोकसभा की 42 सीटों में से पार्टी 25 से अधिक सीटें जीतने में सफल होगी।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव (Panchayat Polls) के नतीजों से उत्साहित भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में 42 में से 33 सीटें जीतने की रणनीति बनाने में जुटी है। तैयारियों से जुड़े पार्टी के वरिष्ठ नेता पिछले पंचायत चुनाव के मुकाबले वोट शेयर में 10 फीसद और जीते गए सीटों की संख्या में 100 फीसद बढ़ोतरी को इसका आधार बता रहे हैं।
पिछले लोकसभा में भाजपा 40.6 फीसद वोट शेयर के साथ 18 सीटें जीतने में सफल रही थी, जो तृणमूल कांग्रेस (TMC) की तुलना में वोट शेयर में दो फीसद और सीटों में चार कम है।
'25 से अधिक सीटों पर मिलेगी सफलता'
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि जमीनी फोकस आधारित रणनीति के सहारे पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटों में से पार्टी 25 से अधिक सीटें जीतने में सफल होगी। पश्चिम बंगाल में भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं के मजबूत नेटवर्क का अभाव था। उन्होंने कहा,
2019 के लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा ने इस कमजोरी को तेजी से दूर करने का प्रयास किया और 80 फीसद बूथों पर बूथ समिति बनाने का दावा भी किया, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव परिणाम ने राज्य में भाजपा की सांगठनिक कमजोरी को उजागर कर दिया।
लोकसभा चुनाव के मुकाबले घटा भाजपा का वोट शेयर
भाजपा पहली बार 77 सीटों के साथ प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में जरूर आ गई, लेकिन उसका वोट शेयर 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले दो फीसद कम हो गया। भाजपा की इस सांगठनिक कमजोरी को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी अमित शाह के करीबी और उत्तर प्रदेश में 2014 में 80 में से 71 सीटें जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को सौंपी।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सुनील बंसल ने बूथ समितियों की कमजोरी को काफी हद तक दुरुस्त कर दिया है और मुस्लिम बहुल इलाकों के बूथों को छोड़कर 80 फीसद से अधिक बूथों पर न सिर्फ समितियों को बनाने का काम पूरा हो चुका है, बल्कि मतदाताओं के बीच उनकी सक्रियता भी साफ-साफ देखी जा सकती है।
पंचायत चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा कार्यकर्ताओं ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की ओर से की गई हिंसा का एकजुट होकर मुकाबला किया, वह पश्चिम बंगाल में भाजपा के बेहतर भविष्य का संकेत है।
2014 में दो ही सीटें जीत पाई थी भाजपा
2014 के पहले भाजपा पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में हाशिये पर थी और 2011 के विधानसभा चुनाव में लगभग चार फीसद वोट ही मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के बावजूद भाजपा 17 फीसद वोट शेयर के साथ दो सीटें ही जीत पाई थी। इसके दो साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट शेयर 10.3 फीसद रह गया और तीन सीटें ही जीत पाई।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद लगातार भाजपा वोट शेयर के मामले में तृणमूल कांग्रेस से थोड़ा ही पीछे रही है। सांगठनिक कमजोरी को दूर कर भाजपा वोट शेयर के मामले में तृणमूल कांग्रेस को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रही है, जिसका परिणाम सीटों के मामले में भी स्वाभाविक रूप से दिखेगा।
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