48 घंटे बाद भी बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची पर किसी दल ने नहीं दर्ज कराई कोई आपत्ति, चुनाव आयोग ने जारी किया ब्योरा
बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाने के बावजूद ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के 48 घंटे बाद भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। चुनाव आयोग आपत्तियों की प्रतीक्षा कर रहा है और एक सितंबर तक का समय दिया है। आयोग का दावा है कि प्राप्त आपत्तियों का निराकरण सात दिनों में किया जाएगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर भले ही विपक्षी राजनीतिक दल सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची आने के 48 घंटे बाद भी उनकी ओर से अब तक एक भी आपत्ति नहीं दर्ज कराई गई है।
यह स्थिति तब है, जब चुनाव आयोग ने उनकी आपत्तियों को सुनने और जांचने के लिए राह देख रहा है। वैसे भी आयोग ने जारी की गई ड्राफ्ट मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के लिए एक महीने यानी एक सितंबर तक का समय दे रखा है।
इस दौरान यदि किसी को कहीं भी गड़बड़ी दिखती है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकते है। आयोग की दावा है कि ऐसे आपत्तियों को वह सात दिन के भीतर ही निराकरण कर देगा।
चुनाव आयोग ने जारी क्या ब्योरा
चुनाव आयोग की ओर से रविवार को जारी किए गए ब्योरे के मुताबिक एक अगस्त को तीन बजे ड्राफ्ट मतदाता सूची को जारी करने से अब तक यानी तीन जुलाई को शाम तीन बजे तक उन्हें राजनीतिक दलों की ओर से एक भी आपत्ति ड्राफ्ट सूची को लेकर मिली है। यह बात अलग है कि राजनीतिक दलों से ज्यादा आम मतदाता अपने मताधिकार को लेकर सक्रिय दिख रहे हैं, उनकी ओर ड्राफ्ट से जुड़ी अलग-अलग खामियों को लेकर अब तक 941आपत्तियां दर्ज कराई गई है।
आयोग का दावा है कि उन्हें जो भी आपत्तियां मिली है, उन सभी का निराकरण वह सात दिनों के भीतर कर देगा। इसके बाद भी यदि कोई इस फैसले से संतुष्ट नहीं होता है तो इसके खिलाफ जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य निर्वाचन अधिकारी के यहां अपील की जा सकती है।
'भ्रम न फैलाएं'
इसके साथ ही राज्य में एक अक्टूबर तक 18 साल की उम्र पूरी कर रहे करीब 4374 युवाओं में अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आवेदन किया है। आयोग ने इस दौरान एक सूची भी साझा की है, जिसमें बताया है कि बिहार में राजनीतिक दलों के मौजूदा समय में 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट है।
इनमें सबसे अधिक भाजपा के करीब 53 हजार, आरजेडी के 47 हजार, जेडीयू के 36 हजार , कांग्रेस के 17 हजार सहित अन्य आठ राष्ट्रीय व राज्य पार्टियों के है। आयोग ने इस बीच सभी राजनीतिक दलों से कहा है कि वह ड्राफ्ट मतदाता सूची को लेकर तय समय में अपनी आपत्तियों को दर्ज कराए, बाद में इन्हें लेकर किसी तरह का भ्रम न फैलाए।
चुनाव आयोग ने आपत्तियां दर्ज कराने के लिए दिया था समय
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मतदाता सूची से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी को लेकर आपत्ति दर्ज कराने का मौका महाराष्ट्र और कर्नाटक में हुए मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान दिया था, लेकिन उस समय महाराष्ट्र में सिर्फ 90 आपत्तियां दर्ज कराई गई थी, जबकि कर्नाटक में एक भी नहीं दर्ज कराई गई थी। वहीं चुनाव के नतीजों के बाद हार का पूरा ठीकरा मतदाता सूची की गड़बडि़यो और चुनाव आयोग पर फोड़ दिया गया था।
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