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    Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर सियासी घमासान, कानूनी विकल्पों पर होने लगा विचार; जानिए क्या है मामला

    Updated: Sun, 29 Jun 2025 07:54 PM (IST)

    बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दल चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। महागठबंधन की पार्टियों ने जमीनी स्तर पर मुकाबला करने के साथ ही कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रही हैं। कांग्रेस ने आयोग को पत्र लिखकर इस कदम की मंशा पर सवाल उठाया है। विपक्षी दल पुनरीक्षण को स्थगित करने की मांग कर रहे हैं।

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    बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर घमासान

    संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। चुनाव आयोग के बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूचियों के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान पर संदेह के सवालों के साथ मुखर विपक्षी दल इसके खिलाफ राजनीतिक लड़ाई के साथ ही कानून विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

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    बिहार के महागठबंधन की पार्टियों ने जहां मतदाता सूची के विशेष सघन सूची पुनरीक्षण के लिए तय नए दिशा-निर्देशों और शर्तोँ के खिलाफ जमीनी स्तर पर साझा मुकाबला करने के लिए ताल ठोक चुकी हैं, वहीं कुछ कानूनी विकल्प आजमाने के लिए विधि विशेषज्ञों से मशविरा भी कर रहे हैं।

    लिखित रूप से सवाल उठी चुकी मुख्य विपक्षी पार्टी

    वोटर लिस्ट विशेष सघन पुनरीक्षण के आयोग के कदम पर पहले ही लिखित रूप से सवाल उठी चुकी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार है, जिसके बाद पार्टी कानूनी विकल्पों को आजमाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। तृणमूल कांग्रेस भी कानूनी दांव के सहारे आयोग के कदम थामने की पहल करने पर गौर कर रही है।

    चुनाव में कथित धांधली के आरोप

    विपक्षी दल लोकसभा चुनाव 2024 के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम जोड़े जाने तथा चुनाव में कथित धांधली के आरोप लगाते रहे हैं और इसके मद्देनजर ही बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण को लेकर आयोग पर हमलावर हैं। महागठबंधन की पार्टियों की पटना में शुक्रवार को राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जमीनी स्तर पर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में किसी भी तरह की मनमानी रोकने के लिए साझा लड़ाई लड़ने की घोषणा की गई।

    वैसे विपक्षी दलों ने अपने-अपने स्तर पर भी चुनाव आयोग से बिहार में चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट सघन पुनरीक्षण का एक सुर से विरोध किया है। इसमें कांग्रेस भी शामिल है जिसने 26 जून को आयोग को पत्र लिखते हुए इस कदम की मंशा और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध करने की घोषणा की थी।

    विपक्षी पार्टियों के आयोग से कई कठोर सवाल

    पार्टी ने अपने पत्र में मतदाताओं से जन्म तिथि प्रमाणपत्र मांगे जाने के साथ ही उनके माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र देने को अनिवार्य किए जाने को मनमाना तथा बिहार के आठ करोड़ से अधिक मतदाताओं के लिए दूभर बताते हुए आयोग से जवाब मांगा था। कांग्रेस ही नहीं राजद, वामपंथी दल, एआइएमआइएम जैसे विपक्ष के तमाम दलों ने विशेष सघन पुनरीक्षण स्थगित करने की मांग करते हुए आयोग से कई कठोर सवाल किए हैं।

    कानूनी विकल्पों की संभावनाएं

    विपक्षी पार्टियों को आयोग के स्पष्ट जवाब का इंतजार है जिसके बाद वे अपने कानूनी विकल्प की दशा-दिशा निर्धारित करेंगी। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने इस बारे में पूछे जाने पर कानूनी विकल्पों की संभावनाएं खुले होने का संकेत देते हुए कहा कि हमने चुनाव आयोग को लिखा है। आयोग के जवाब की प्रतीक्षा है जिसके बाद अगले सभी संभव कदम उठाए जाएंगे।

    आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया

    चुनाव और वोटर लिस्ट मामलों पर निगाह रखने के लिए कांग्रेस नेताओं के बने विशेष समूह 'इगल' बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण के पहुलओं का अध्ययन कर रही है तो पार्टी के कानूनी सलाहकारों की टीम भी अंदरूनी मंत्रणा कर रही है। दिलचस्प यह भी है कि सबसे पहले आयोग के इस कदम के खिलाफ मुखर आवाज उठाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसको लेकर महागठबंधन तथा कांग्रेस के साथ दिख रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ने भी बिहार जैसा प्रयोग बंगाल में किए जाने की आशंका जताते हुए आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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