सीटों की संख्या पर दावों को लेकर महागबंधन में उलझी बंटवारे की गुत्थी, क्या कांग्रेस का घट जाएगा ग्राफ?
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में संभावित सीटों और उम्मीदवारों के चयन के मानकों पर चर्चा हुई। कांग्रेस लगभग 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है हालांकि राजद 50-55 सीटें ही देना चाहता है। पार्टी अपनी पसंद की सीटों पर चुनाव लड़ने को प्राथमिकता देगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझने से पहले कांग्रेस ने अपनी दावेदारी वाली संभावित सीटों पर उम्मीदवारों के चयन की कसौटी तय करने की रूपरेखा निर्धारित करने की कसरत तेज कर दी है।
बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन के लिए गठित स्क्रीनिंग कमिटी की शुक्रवार को हुई पहली औपचारिक बैठक में संभावित सीटों से लेकर प्रत्याशी तय करने के आधारों पर गहन चर्चा की गई। हालांकि पार्टी ने अपनी दावेदारी वाले संभावित सीटों की संख्या तथा उनके नाम का खुलासा अभी नहीं किया है। कांग्रेस समेत महागठबंधन की पार्टियां बेशक दावा करें कि सीट बंटवारे का मसला अगले कुछ दिनों में त्वरित गति से हल हो जाएगा मगर दावे-प्रतिदावे को देखते हुए यह इतना सहज नजर नहीं आ रहा।
सीट बंटवारे को लेकर हो सकता है घमासान
बिहार की 243 सीटों पर राजद पिछली बार की तरह 144 तो कांग्रेस 70 सीटों पर दावेदारी जता रही है। जबकि भाकपा माले पिछली बार की 19 की जगह 40 सीटों पर दावा ठोक रही। इसमें मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी से लेकर गठबंधन में नए आने वाले पशुपति कुमार पारस के दावे अभी अलग हैं। ऐसे में साफ है कि राजद तथा कांग्रेस दोनों को 2020 चुनाव के मुकाबले मिली अपनी सीटों की संख्या में इस बार कुछ कुर्बानी देनी होगी।
कम से कम 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी कांग्रेस?
कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमिटी की अजय माकन की अध्यक्षता में हुई पहली औपचारिक बैठक में शुक्रवार को वैसे तो 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी को लेकर चर्चा हुई। मगर पार्टी भी सियासी हकीकत को मानते हुए करीब 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने को लेकर गंभीर है।
राजद कितनी सीटें देने को तैयार?
हालांकि राजद खेमे से मिले संकेतों के अनुसार तेजस्वी यादव कांग्रेस को 50 से 55 सीटों के बीच ही सीमित रखना चाहते हैं। गठबंधन में सभी घटक दलों को समायोजित करने की जरूरत को समझते हुए पिछली बार की तुलना में कम सीटों पर लड़ने के लिए कांग्रेस सहमत होगी तो विधानसभा क्षेत्रों के चयन में पार्टी अपनी पसंद को प्राथमिकता देगी।
जाहिर तौर पर कांग्रेस पिछली बार की 70 सीटों में दी गई अधिकांश ऐसी सीटों को अपने खाते में नहीं रखना चाहेगी जहां उसके लिए चुनावी संभावनाएं नगण्य हों। बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि बेशक पार्टी को अपनी पसंद की सीट से समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि जान बूझकर ऐसी सीटें खाते में डाल दी जाती है जहां राजद भी पिछले 20 साल में जीत हासिल नहीं कर पाया है।
दिल्ली में स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में शरीक हुए बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने भी कहा कि उम्मीदवारों के चयन के मानकों के साथ-साथ पार्टी की अपनी संभावित सीटों के विषय में चर्चा हुई।
कब कटौती कर सकती है कांग्रेस?
साफ है कि कांग्रेस अपने आकलन तथा जमीनी ताकत के आधार पर चयनित सीटों का भरोसा मिलने पर ही संख्या में कटौती को लेकर तैयार होगी। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद बिहार में कांग्रेस का सियासी ग्राफ ऊपर गया है जिसको लेकर पार्टी के नेता-कार्यकर्ता न केवल उत्साहित हैं बल्कि राजद पर सीटों के लिए दबाव भी बना रहे।
इसके मद्देनजर भाकपा माले के शीर्षस्थ नेता दीपांकर भटटाचार्य ने कांग्रेस को राजनीतिक हकीकत का समझते हुए 70 सीटों के दावे की जिद नहीं करने की नसीहत दी। कांग्रेस कार्यसमिति की पटना में विस्तारित बैठक भी पार्टी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। दशकों बाद कार्यसमिति की बैठक पटना में हो रही है जहां कांग्रेस का पूरा शीर्षस्थ नेतृत्व मौजूद रहेगा। जाहिर तौर पर बिहार कांग्रेस इस बड़े आयोजन के जरिए सीटों की अपनी दावदारी को और मजबूत करने का प्रयास करेगी।
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