भाजपा ने शुरू की बिहार चुनाव की तैयारियां, शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक; NDA में संतुलन बनाने पर जोर
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में राजग की एकजुटता और विपक्ष की रणनीति पर चर्चा हुई जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगे बढ़ने का फैसला लिया गया। एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों के बँटवारे पर भी विचार किया गया हालाँकि इस विषय पर सार्वजनिक रूप से कोई खास जानकारी नहीं दी गई।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा से महागठबंधन को मिली ताकत के बीच भाजपा ने भी बुधवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में महामंथन किया।
चुनावी मैदान में उतरने से पहले भाजपा ने न केवल अपनी मजबूती और राजग की एकजुटता को परखा, बल्कि विपक्ष की ताकत का भी बारीकी से आकलन किया। बैठक में यह फिर साफ कर दिया गया कि पार्टी बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही आगे बढ़ेगी। केंद्रीय नेतृत्व का सबसे ज्यादा जोर इस बार एनडीए के घटक दलों के बीच समन्वय और तालमेल साधने पर रहा।
इसी महीने बज सकता है चुनाव का बिगुल
बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा सितंबर में ही चुनावी बिगुल बजने की संभावना है। बैठक के बाद मीडिया से बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल मुखाबित हुए। उन्होंने सारा ब्योरा दिया, लेकिन साथी दलों में सीटों के बंटवारे और गतिरोध-प्रतिरोध जैसे विषय पर चर्चा से साफ इन्कार किया।
सीट बंटवारे पर क्या हुई बात?
सिर पर चुनाव है। ऐसे में किसी बैठक में सीट बंटवारे के मुद्दे को हाशिये पर नहीं डाला सकता है। हालांकि उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी ऐसी किसी बात की पुष्टि नहीं की। मगर सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश नेताओं से थाह लिया कि जदयू को कितनी सीटों पर मनाया जा सकता है और चिराग पासवान को अधिकतम कितनी सीटें दी जा सकती हैं।
दरअसल, एनडीए में सीट बंटवारा सबसे जटिल मसला है। भाजपा और जदयू में कोई खास तनातनी नहीं है, लेकिन लोजपा (रामविलास) अधिक हिस्सेदारी पर अड़ी हुई है। इस मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा घटक दलों के साथ अलग बैठक करेंगे।
पीएम मोदी की मां को गाली देने का बिहार में बना मुद्दा
बिहार में अभी सबसे बड़ा मुद्दा कांग्रेस की सभा में प्रधानमंत्री की मां को गाली देने का बना हुआ है। राजग इसे आम जनमानस के बीच ले जाने की तैयारी में है। भाजपा ने इसे महिलाओं का अपमान बताकर चार सितंबर को बिहार बंद का आह्वान कर रखा है।
भाजपा की यह बैठक बिहार में अपने आंतरिक सर्वे के बाद बुलाई गई थी। जाहिर है, कमजोर और मजबूत सीटों का ब्योरा भी रखा गया और विधायकों के कामकाज का भी मूल्यांकन हुआ। साफ संकेत दिया गया कि इस बार टिकट केवल जीतने वालों को मिलेगा, दबाव या भावनात्मक आधार पर उम्मीदवारी तय नहीं होगी। बैठक में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विपक्षी अभियान का असर भी परखा गया।
अमित शाह ने दिए निर्देश
अमित शाह ने प्रदेश भाजपा नेताओं से सीधे फीडबैक लिया और निर्देश दिए कि केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में आम जन को बताया जाए। डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां और विकास ही भाजपा का प्रमुख चुनावी हथियार होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी बिहार दौरे को सफल बनाने की रूपरेखा पर भी चर्चा हुई।
बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, सह-प्रभारी दीपक प्रकाश, संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ समेत कई शीर्ष नेता मौजूद रहे।
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