बिहार में भाजपा ने चली चुनावी चाल, अमित शाह ने जीतने के लिए बनाया ये खास प्लान
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा चुनाव प्रभारी नियुक्त नहीं करेगी। अमित शाह ने नई रणनीति बनाई है जिसमें चुनाव अभियान की कमान चुनाव अभियान समिति को सौंपी जाएगी। इस समिति में भाजपा और राजग के सहयोगी दलों के नेता शामिल होंगे। यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव में सहयोगी दलों के साथ संयुक्त प्रचार की सफलता को देखते हुए लिया गया है।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा इस बार चुनाव प्रभारी की नियुक्ति नहीं करेगी। भाजपा में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले और बिहार की चुनावी तैयारियों की कमान संभाल रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति तैयार की है।
इसके तहत चुनाव अभियान की कमान चुनाव प्रभारी को सौंपने के बजाय चुनाव अभियान समिति को सौंपा जाएगा। इस चुनाव अभियान समिति में भाजपा के साथ-साथ राजग के अन्य सहयोगी दलों के नेताओं को भी जगह दी जाएगी।
चुनाव के तीन-चार महीने पहले ही प्रभारी चुन लेती है भाजपा
दरअसल अभी तक विधानसभा चुनावों को देखें तो भाजपा चुनाव के तीन-चार महीने पहले ही किसी वरिष्ठ केंद्रीय नेता को संबंधित राज्य के चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपता रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बिहार का चुनाव प्रभारी बनाया गया था। इसी तरह से झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को सह प्रभारी बनाया गया था। लेकिन इस बार अभी तक किसी को चुनाव प्रभारी नहीं बनाया है, जबकि 30 सितंबर को फाइनल मतदाता सूची तैयार हो जाने के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है।
इस बार क्यों नहीं चुना गया बिहार का प्रभारी?
वैसे चुनाव प्रभारी नहीं बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के अधिकांश नेता स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन सूत्रों के अनुसार यह फैसला खुद अमित शाह ने लिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सहयोगी दलों के साथ संयुक्त प्रचार के कारण बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मिली सफलता को देखते हुए अमित शाह ने इसे बिहार विधानसभा चुनाव में आजमाने की रणनीति बनाई है। इसी रणनीति के तहत बिहार में पहले जिला स्तर पर और उसके बाद विधानसभा स्तर पर सभी घटक दलों को एकजुट करते हुए राजग के बैनर तले सम्मेलनों का आयोजन किया गया।
बिहार चुनाव की तैयारियों से जुड़े भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांटे की टक्कर वाले बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी एक घटक दल का खराब प्रदर्शन अन्य दलों की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
2020 के चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन के कारण बहुत कम अंतर से सरकार बन पाई थी। चिराग पासवान के अलग लड़ने से जदयू की सीटों पर भाजपा समर्थित वोटों का बिखराव भी देखने को मिला था।
इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी यह भूमिका निभा सकती है। इसीलिए भाजपा अपना चुनाव प्रभारी बनाने के बजाय संयुक्त चुनाव अभियान समिति के सहारे यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि सहयोगी दलों के वोट एक-दूसरे को सभी सीटों पर आसानी से ट्रांसफर हो सके।
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