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    'NRC जैसी साजिश रची जा रही', बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर क्यों भड़की ममता बनर्जी?

    Updated: Thu, 26 Jun 2025 07:00 PM (IST)

    ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर बिहार सहित छह राज्यों में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के बहाने पूरे देश में एनआरसी जैसी प्रक्रिया लागू करने की तैयारी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र मांगने से गरीब और श्रमिक मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।   ममता ने चुनाव आयोग को भाजपा के प्रचारक जैसा काम करने और एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाया, और सभी विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर सतर्क रहने का आग्रह किया।  

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    बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग पर ममता बनर्जी नाराज।(फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले छह राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पूरे देश में एनआरसी जैसी प्रक्रिया लागू करने की तैयारी हो रही है। उन्होंने इसे देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक और अलार्मिंग करार दिया।

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    रथ यात्रा में शामिल होने पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा के दौरे पर गईं ममता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार को चुनाव आयोग से कुछ दस्तावेज प्राप्त हुए हैं, जिनमें मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र जमा करने की बात कही गई है।

    छह राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान होगा शुरू

    मालूम हो कि चुनाव आयोग बिहार व बंगाल समेत छह राज्यों में विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान शुरू करने जा रही है। इसका उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों को वोटर लिस्ट से हटाकर एक सटीक और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार करना है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए यह प्रक्रिया बिहार से शुरू की जा रही है।

    ममता ने कहा कि यह फिलहाल बिहार में लागू किया गया है, लेकिन साफ है कि इसे देश के हर राज्य में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके पीछे असली निशाना बंगाल है, क्योंकि वे (भाजपा) प्रवासी मजदूरों और गरीब वोटरों से डरते हैं।

    मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि गरीबों और श्रमिकों के पास अपने माता-पिता के प्रमाण पत्र कहां से आएंगे? उन्होंने इस नई प्रक्रिया की तुलना सीधे एनआरसी से की और इसे उससे भी अधिक खतरनाक बताया। उन्होंने आरोप लगाया, ये लोग जानबूझकर गरीबों और युवा वोटरों का हक छीनना चाहते हैं। क्या युवा पीढ़ी को वोट देने का अधिकार नहीं है?

    भाजपा प्रचारकों जैसा काम

    ममता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बिना किसी राजनीतिक दल से चर्चा किए, एकतरफा फैसले ले रहा है। उन्होंने कहा, आयोग को लगता है कि राजनीतिक दल और चुनी हुई सरकारें उनके बंधुआ मजदूर हैं। ये मानसिकता लोकतंत्र को कमजोर करती है। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस से बूथ लेवल एजेंट्स की जानकारी मांगी है, जिसे पार्टी ने देने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा, हम क्यों दें ऐसी जानकारी? ये सब भाजपा प्रचारकों की बनाई हुई योजना है। मैं इसका डटकर विरोध करूंगी।

    सभी पार्टियों को सतर्क रहने की जरूरत

    ममता ने सभी विपक्षी दलों से अपील करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि मैं सभी पार्टियों से निवेदन करती हूं कि वे इन दस्तावेजों को देखें। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। ये खेल समझ से परे है।