असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बोले, पूर्वोत्तर के लोगों ने एक बार फिर से पीएम मोदी पर भरोसा जताया है
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि पूर्वोत्तर के लोगों ने एक बार फिर से पीएम मोदी पर भरोसा जताया है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस-माकपा गठबंधन पर भी जमकर निशाना साधा। सरमा ने कहा कि कांग्रेस कभी मुकाबले में नहीं थी।

अगरतला, एएनआई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि पूर्वोत्तर के जिन तीन राज्यों में हाल ही में चुनाव हुए हैं, वहां के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपना भरोसा जताया है।
लोकसभा चुनाव में जीतेंगे 25-26 सीटें
एएनआई से बात करते हुए, असम के सीएम ने कहा, "लोगों ने पीएम मोदी पर अपना भरोसा दोहराया है। मेघालय को छोड़कर, यह दूसरी बार है, जब एनडीए-बीजेपी ने दो राज्यों में जीत हासिल की है। यह स्पष्ट रूप से सुनिश्चित करता है कि हम लोकसभा चुनाव में भी कम से कम 25-26 सीटें जीतेंगे। यह जीत पूर्वोत्तर में पीएम मोदी के प्रयासों की वजह से है। हमने पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों में अपनी सफलता दोहराई है।"
त्रिपुरा को विभाजित नहीं किया जा सकता
ग्रेटर तिपरालैंड की मांग पर सीएम ने कहा, "सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, त्रिपुरा को विभाजित नहीं किया जा सकता है। यह एक रहेगा। हालांकि, आदिवासियों के मुद्दों को भी हल किया जाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि त्रिपुरा की नई सरकार और केंद्र सरकार मिलकर उनकी शिकायतों का समाधान करेंगी और जरूरत पड़ी तो टिपरा मोथा के साथ भी काम करेंगी।"
वाम-कांग्रेस गठबंधन पर साधा निशाना
सीएम सरमा ने वाम-कांग्रेस गठबंधन पर भी हमला किया और कहा, "उनके गठबंधन से कोई दिक्कत नहीं है।
लेफ्ट और कांग्रेस के पास कभी मौका नहीं था, उनके गठबंधन के बारे में केवल प्रचार किया गया था।
चुनाव हुए और प्रचार का पर्दाफाश हो गया।"
त्रिपुरा में 8 मार्च को होगा शपथ ग्रहण समारोह
मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, "जहां तक मुझे पता है, त्रिपुरा में समारोह 8 मार्च को आयोजित किया जाएगा. जबकि समारोह 7 मार्च को नागालैंड और मेघालय में आयोजित किया जाएगा."
उन्होंने कहा, "त्रिपुरा में भाजपा नेताओं ने शपथ समारोह के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर और यहां के लोगों से प्यार करते हैं। मुझे यकीन है कि पीएम मोदी आएंगे।"
कानून व्यवस्था सरकार की पहली प्राथमिकता
सरमा ने राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा से सफलतापूर्वक निपटने के लिए त्रिपुरा की नई सरकार में विश्वास जताया। उन्होंने कहा, 'यह राज्य का मुद्दा है। मेरा मानना है कि लोकतंत्र में एक बार मतदान हो जाने के बाद संघर्ष या हिंसा नहीं होनी चाहिए। मुझे यकीन है कि त्रिपुरा की सरकार स्थिति को अच्छी तरह से संभाल लेगी। कानून व्यवस्था किसी भी राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता होती है।" सीएम ने बीजेपी को समर्थन देने के लिए तीनों राज्यों के लोगों का शुक्रिया भी अदा किया।
त्रिपुरा में बीजेपी ने हासिल किया बहुमत
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित होने के साथ ही बीजेपी ने पूर्ण बहुमत हासिल कर राज्य की सत्ता में वापसी की है। चुनाव आयोग के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 32 सीटें जीतीं। टिपरा मोथा पार्टी 13 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को 11 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं। इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने एक सीट जीतकर अपना खाता खोलने में कामयाबी हासिल की।
काम नहीं आया कांग्रेस- माकपा का गठबंधन
भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस बार पूर्वोत्तर में सीपीआई (एम) और कांग्रेस, केरल में कट्टर प्रतिद्वंद्वी, एक साथ आए। माकपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर लगभग 33 प्रतिशत रहा। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने टाउन बोरडोवली सीट से कांग्रेस के आशीष कुमार साहा को 1,257 मतों के अंतर से हराया. 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में बहुमत का निशान 31 है।
भाजपा ने 2018 में पहली बार बनाई सरकार
भाजपा, जिसने 2018 से पहले त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी, आईपीएफटी के साथ गठबंधन में पिछले चुनाव में सत्ता में आई थी और 1978 से 35 वर्षों तक सीमावर्ती राज्य में सत्ता में रहे वाम मोर्चे को बेदखल कर दिया था। बीजेपी ने 55 सीटों पर और उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों सहयोगियों ने गोमती जिले के अम्पीनगर निर्वाचन क्षेत्र में अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेफ्ट ने क्रमश: 47 और कांग्रेस ने 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
कुल 47 सीटों में से सीपीएम ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि फॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा। 1988 और 1993 के बीच के अंतराल के साथ, जब कांग्रेस सत्ता में थी, माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने लगभग चार दशकों तक राज्य पर शासन किया, लेकिन अब दोनों दलों ने भाजपा को सत्ता से हटाने के इरादे से हाथ मिला लिया।
नगालैंड में बीजेपी को मिली 12 सीटें
नगालैंड में, बीजेपी ने 12 सीटें हासिल कीं, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ने 25 सीटें जीतीं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने सात सीटें हासिल कीं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने पांच सीटों पर जीत हासिल की। नागा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) ने दो-दो सीटें जीतीं। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) को एक सीट मिली थी। 60 सीटों वाली नागालैंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है।
मेघालय में एनपीपी ने जीती 26 सीटें
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 26, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने 11 और तृणमूल कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत हासिल की। बीजेपी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को दो-दो सीटें मिलीं। कांग्रेस पांच सीटें जीतने में सफल रही, जबकि वॉयस ऑफ द पीपुल पार्टी को चार सीटें मिलीं। दो सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे।
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