लोकसभा में अनुराग ठाकुर ने तमिलनाडु सरकार पर लगाया हिंदू विरोधी होने का आरोप, मचा बवाल
लोकसभा में अनुराग ठाकुर ने तमिलनाडु सरकार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया, जिससे सदन में बवाल मच गया। उन्होंने डीएमके सरकार पर सनातन विरोध का आरोप ...और पढ़ें

लोकसभा में अनुराग ठाकुर ने तमिलनाडु सरकार पर लगाया हिंदू विरोधी होने का आरोप (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को शून्यकाल के दौरान तमिलनाडु के कार्तिगई दीपम विवाद ने अचानक राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने डीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार सनातन विरोध का प्रतीक बन गई है और राज्य में हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा है।
उनके इस बयान पर तुरंत द्रमुक सांसदों ने कड़ा प्रतिरोध जताया और वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।अनुराग ठाकुर ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के हालिया आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने तिरुप्परनकुंड्रम स्थित सुब्रमणिय स्वामी मंदिर में कार्तिगई दीपम की अनुमति दी थी, लेकिन राज्य प्रशासन ने इसका पालन नहीं किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि श्रद्धालुओं को दीप जलाने से रोका गया और उन पर लाठीचार्ज तक किया गया। ठाकुर ने इसे अदालत के आदेश की खुली अवहेलना और धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि द्रमुक के कई मंत्री सनातन के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं, जो राज्य सरकार की हिंदू विरोधी मानसिकता से प्रेरित है।
कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी
द्रमुक सांसदों का कहना था कि भाजपा जानबूझकर तमिलनाडु सरकार को सांप्रदायिक लाइन पर खड़ा करने की कोशिश कर रही है। हंगामा बढ़ने पर पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
दरअसल तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है बल्कि आदेश देने वाले उक्त जज के खिलाफ विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा में महाभियोग का नोटिस भी दिया है। जिसमें द्रमुक व कुछ अन्य सदस्यों के अलावा कांग्रेस के भी कई सदस्य शामिल हैं।
खुद प्रियंका गांधी का भी इसमें नाम है। राज्य का तर्क है कि संबंधित स्थल एक दरगाह के निकट है, जहां सुरक्षा के मद्देनजर स्पष्ट दिशा-निर्देश आवश्यक है। उधर, हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने प्रशासन की अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश को बरकरार रखा था और श्रद्धालुओं को दीप जलाने की अनुमति दी थी।

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