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    राहुल गांधी की बैठक से थरूर की दूरी, पीएम मोदी के कार्यक्रम में हुए थे शामिल; कांग्रेस में क्या चल रहा है?

    By sanjay mishraEdited By: Prince Gourh
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 09:30 PM (IST)

    कांग्रेस सांसद शशि थरूर राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए, जबकि वे पीएम मोदी के कार्यक्रम में दिखे। थरूर के कोलकाता दौरे को कारण बता ...और पढ़ें

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    राहुल गांधी की बैठक से थरूर की दूरी (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नीतिगत विषयों में पार्टी लाइन की परिधि से बाहर जाकर बीते कुछ अर्से से बेबाकी से अपनी निजी राय रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की पार्टी सांसदों के लिए शुक्रवार को बुलाई बैठक में शामिल नहीं हुए।

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    संसद के शीत सत्र के दौरान कांग्रेस की रणनीति तथा पार्टी सांसदों के प्रदर्शन पर चर्चा के लिए यह समीक्षा बैठक बुलाई गई थी। थरूर के कोलकाता दौरे पर होने को बैठक में नहीं आने का कारण बताया गया और इसीलिए वे संसद की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए।

    शीर्ष नेतृत्व की बैठक से थरूर की दूरी

    संसद के हर सत्र के दौरान नेता विपक्ष कांग्रेस सांसदों के साथ कम से कम एक समीक्षा और रणनीतिक बैठक करते हैं। पूर्व निर्धारित यात्रा की दलील भले ही उनकी ओर से दी गई है मगर हकीकत यह भी है कि थरूर बीते चार हफ्ते में तीसरी बार शीर्ष नेतृत्व की बैठक में शामिल नहीं हुए।

    बिहार के चुनाव परिणामों के बाद नवंबर के तीसरे हफ्ते में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण(एसआइआर) पर बुलाई बैठक में थरूर शरीक नहीं हुए। हालांकि स्वास्थ्य खराब होने का कारण बताते हुए इसमें शामिल नहीं होने की पूर्व सूचना भेज दी थी।

    पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे थरूर

    दिलचस्प यह है कि दो दिन पहले थरूर पीएम मोदी के एक कार्यक्रम में शरीक हुए थे। शीत सत्र से एक दिन पहले 30 नवंबर को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की संसदीय रणनीतिक समूह की बुलाई बैठक में भी थरूर नहीं गए। इस बार केरल में अपनी मां के जन्म दिन के लिए उनके साथ होने की दलील दी।

    जबकि उद्योग संगठन फिक्की से जुड़े किसी कार्यक्रम के लिए कोलकाता में होने की वजह से राहुल गांधी की बैठक से अनुपस्थिति की वजह बताई।थरूर ने चाहे पार्टी की बैठकों से गैरमौजूदगी की पूर्व सूचना दे दी हो मगर यह कोई रहस्य नहीं कि बीते सात-आठ महीनों से वे कांग्रेस की राजनीतिक लाइन-लेंथ से अलग नीतिगत मामलों में धुआंधार तरीके से अपनी निजी वैचारिक बैटिंग कर रहे हैं।

    अहम राजनीतिक-कूटनीतिक विषयों पर उनकी यह मुखर वैचारिक बैटिंग जहां कई बार कांग्रेस को असहज करती रही है तो भाजपा सरकार विशेष रूप से पीएम नरेन्द्र मोदी की नीतिगत लाइन-लेंथ के करीब रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद वैश्विक सर्वदलीय कूटनीति अभियान में थरूर सरकार के लिए सबसे प्रभावशाली नेता साबित हुए।

    कांग्रेस नेताओं का थरूर पर निशाना

    थरूर की अत्यधिक मुखरता को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उन पर निशाना भी साधा। हालांकि भाजपा सरकार के प्रति थरूर के इस वैचारिक लचीलेपन के बावजूद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बीते सितंबर में संसदीय समितियों के पुनर्गठन के दौरान अपने खाते की विदेश मंत्रालय से संबंधित संसदीय स्थाई समिति की अध्यक्षता फिर से उन्हें सौंपी।

    मगर थरूर की कांग्रेस नेतृत्व से रिश्ते अभी भी सहज नहीं हुए हैं और बीते पांच दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के लिए आयोजित राजकीय रात्रि भोज इसका उदाहरण है।

    राहुल और खरगे नहीं थे आमंत्रित

    अपने नेताओं राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रित नहीं किए जाने के बावजूद थरूर इस रात्रि भोज में शामिल हुए और मीडिया ने जब उनसे सवाल किया तो इस पर किसी तरह की आपत्ति जताने की बजाय यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि इसके लिए आमंत्रण का क्या प्रोटोकाल है यह उन्हें मालूम नहीं। शशि थरूर को विदेश मंत्रालय की संसदीय स्थाई समिति के नाते पुतिन के लिए आयोजित डिनर का आमंत्रण मिला था।

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