EVM का पहली बार इस्तेमाल 2004 में हुआ था, जब कांग्रेस जीती थी: अमित शाह का राहुल गांधी पर पलटवार
लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि सरकार चर्चा से नहीं भागती। उन्होंने चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संस्था बताया। शाह ने सदन में विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात र ...और पढ़ें
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। (संसद टीवी)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पार्लियामेंट विंटर सेशन में बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में चल रही SIR चर्चा पर कहा कि SIR पर बहस पार्लियामेंट में नहीं हो सकती, क्योंकि यह मुद्दा इलेक्शन कमीशन के पास है। इलेक्शन कमीशन सरकार के साथ काम नहीं करता है। चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है।
अमित शाह ने कहा कि चुनावों में सुधार पर चर्चा के लिए सत्र की शुरुआत में दो दिन गतिरोध भी हुआ। इससे एक प्रकार की गैरसमझ, गलत धारणा जनता पर पड़ी कि हम लोग ये चर्चा नहीं चाहते हैं।
हम चर्चा से कभी नहीं भागते- शाह
शाह ने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि संसद इस देश की चर्चा का सबसे बड़ी पंचायत है, और हम भाजपा-एनडीए वाले चर्चा से कभी नहीं भागते। कोई भी मुद्दा हो, संसद के नियमों के अनुसार चर्चा के लिए हम तैयार रहते हैं।"
समय-समय पर मतदाता सूची का गहन पुनर्निरीक्षण जरूरी- शाह
गृहमंत्री ने सदन में कहा कि 2004 के बाद, अब 2025 में SIR हो रहा है और इस समय सरकार NDA की है। 2004 तक SIR प्रक्रिया का किसी भी दल ने विरोध नहीं किया था। क्योंकि यह चुनावों को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। लोकतंत्र में चुनाव जिस आधार पर होते हैं, अगर वो मतदाता सूची ही प्रदूषित है तो चुनाव कैसे साफ हो सकता है।
समय-समय पर मतदाता सूची का गहन पुनर्निरीक्षण जरूरी है, इसलिए चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि 2025 में SIR किया जाएगा।
SIR की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग की- शाह
गृहमंत्री ने कहा कि हमने दो दिन तक विपक्ष से चर्चा की कि इसको दो सत्र बाद किया जाए, लेकिन नहीं माने, तो हमने हां कर दी। इस चर्चा के लिए न बोलने के दो कारण हैं, पहला, विपक्ष चर्चा SIR के नाम पर चर्चा मांग रहे थे। SIR पर इस सदन में चर्चा नहीं हो सकती, क्योंकि SIR की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग की है।
भारत का चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त, ये सरकार के तहत काम नहीं करते हैं। अगर चर्चा होती, और कुछ सवाल किए जाएंगे तो इसका जवाब कौन देगा।
SIR पर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया- शाह
उन्होंने कहा कि चर्चा तय हुई थी चुनाव सुधारों के लिए, लेकिन ज्यादातर विपक्ष के सदस्यों ने SIR पर ही चर्चा की। SIR पर एकतरफा चार महीने से झूठ फैलाया गया और जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया।

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