आपातकाल को लेकर गांधी परिवार पर बरसे अमित शाह, संविधान हत्या दिवस मनाने की बताई वजह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना की, इसे संविधान हत्या दिवस बताया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने परिवारवाद के लिए आपातकाल लगाया, जिसे 2014 में नरेंद्र मोदी ने उखाड़ फेंका, जिन्होंने युवावस्था में तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया था।
नई दिल्ली स्थित त्यागराज स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में आयोजित हुआ था कार्यक्रम (फोटो: पीटीआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न सिर्फ उस समय के कठिन समय को अपने शब्दों में बयां किया, बल्कि इसके सहारे कांग्रेस व गांधी परिवार को भी कठघरे में खड़ा किया।
संविधान हत्या दिवस के रूप में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कटाक्ष किया कि विधाता भी किस तरह से न्याय करता है। जिस परिवारवाद को प्रस्थापित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था, उस परिवारवाद को वर्ष 2014 में उन्हीं नरेन्द्र मोदी ने उखाड़ कर फेंक दिया, जिन्होंने युवावस्था में उस तानाशाही सोच के विरुद्ध संघर्ष किया था।
त्यागराज स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में आयोजित हुआ कार्यक्रम
नई दिल्ली स्थित त्यागराज स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में आयोजित कार्यक्रम में गृह मंत्री शाह ने कहा कि आज हम आजादी के बाद के भारत के एक काले अध्याय को याद कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि कुछ बुरी घटनाओं को जीवन से भुला देना चाहिए।
कहा कि यह सही भी है, लेकिन जब बात समाज जीवन या राष्ट्रजीवन की हो तो बुरी घटनाओं को चिरकाल तक याद रखना चाहिए। उसकी पुनरावृत्ति कभी न हो पाए, इसके लिए देश का युवा-किशोर संस्कारित भी हो, संगठित भी हो और संघर्षरत भी हो।
पुस्तक का किया विमोचन
- उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का सरकारी निर्णय किया है। जब यह निर्णय हो रहा था तो नाम को लेकर कई सारे विचार आए। ऐसा भी लगा कि संविधान हत्या दिवस एक तरह से निर्मम और कठोर शब्द है, लेकिन सोच-विचार कर यह नाम रखा गया, क्योंकि आपातकाल में देश को एक जेलखाना बनाकर रख दिया था।
- कहा कि देश की आत्मा को गूंगा, न्यायालय के कान को बहरा करके रख दिया गया था। लिखने वालों की कलम से स्याही ही निकाल दी गई थी। उस कालखंड का वर्णन इतने कठोर शब्दों के साथ ही करना चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को मालूम पड़ेगा कि क्या हुआ था।
- पीएम मोदी के आपातकाल के दौरान एक प्रचारक के रूप में निभाई गई संघर्ष की भूमिकाओं व उस पर विमोचित पुस्तक का भी उल्लेख शाह ने किया। कहा कि देश के युवाओं से अपील है कि एक बार इस पुस्तक को जरूर पढ़ें, क्योंकि आपकी ही आयु के एक युवा ने शुरुआती दिनों में जिस प्रकार से तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया, वही युवा देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाला आज का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है।
इंदिरा गांधी पर साधा निशाना
उन्होंने याद दिलाया कि 24 जून, 1975 को आपातकाल लागू कर दिया गया। एक तानाशाह की सोच को जमीन पर उतारने का अध्यादेश अस्तित्व में आया। कई बार इतिहास सिर्फ घटनाओं को नहीं बताता है। वह नीयत और नजरिये को भी उजागर करता है।
शाह ने आरोप लगाया कि आपातकाल लगाने का कारण बताया गया था कि राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में है, लेकिन पूरा विश्व जानता है कि राष्ट्र की सुरक्षा को कुछ नहीं हुआ था, इंदिरा गांधी की कुर्सी खतरे में थी। उन्होंने कहा कि यह दिन याद रखना इसलिए जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति तानाशाही सोच को इस देश के संविधान पर फिर थोप न दे।
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