आपातकाल के दौर में छिपकर मीटिंग लेते थे पीएम मोदी, पहचान छिपाने के लिए बने थे संन्यासी; पढ़िए इमरजेंसी के दिलचस्प किस्से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व गुण, जैसे लोकतंत्र के प्रति निष्ठा और संगठन क्षमता, आपातकाल के दौरान विकसित हुए। 'द इमरजेंसी डायरीज' नामक पुस्तक में इसका उल्लेख है, जिसका विमोचन अमित शाह ने किया। आपातकाल में मोदी भूमिगत रहकर, संन्यासी या सिख के वेश में, संगठन का काम करते थे।
मोदी बैठकों की प्लानिंग ऐसे घर में ही करते थे, जिनमें दो से अधिक निकास हो (फोटो: पीटीआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकतंत्र के प्रति गहरी निष्ठा, संगठन निर्माण, छोटी-छोटी बारीकियों के साथ कार्यक्रमों को तैयार कर क्रिन्यावित करना और विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ने की क्षमता का निर्माण वस्तुत: आपातकाल के दौर में ही हुआ था।
'द इमरजेंसी डायरिज: इयर्स दैट फोर्ज्ड एक लीडर' नाम की पुस्तक में इसका उल्लेख किया गया है जिसका विमोचन बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया। एक युवा प्रचारक में पनपते और आकार लेते हुए देखने वाले मोदी के पुराने सहयोगियों ने अपने अनुभवों को साझा किया है।
संन्यासी के वेश में घूमते थे मोदी
ब्लूक्राफ्ट से प्रकाशित इस पुस्तक में अलग अलग लोगों के संस्मरण हैं। पुस्तक की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है। आपातकाल के दौरान भूमिगत रहते हुए संगठन के कार्यक्रमों को जारी रखने से लेकर लोकतंत्र को बचाने के लिए तानाशाही के खिलाफ लड़ाई को आकार देने में युवा प्रचारक नरेन्द्र मोदी के साथ काम करने वालों ने अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया है।
इस दौरान युवा मोदी अपनी पहचान छिपाने के लिए एक संन्यासी के वेश में घूमते थे। सिर्फ उनके करीबी लोगों को ही उनकी असली पहचान की जानकारी थी। सिख का वेश तो उनके उपर इस तरह फिट बैठता था कि उन्हें जानने वाले भी नहीं पहचान पाते थे। हालांकि इस वेश में घूमते समय एक बार मोदी की पहचान उजागर होते-होते बची।
धन जुटाकर परिवारों की मदद की
- अहमदाबाद के उनके सहयोगी के अनुसार मोदी एक ऑटो रिक्शा से जा रहे थे और संयोग से उसका ड्राइवर भी सिख था। सिख ड्राइवर में मोदी से पंजाबी में बात करनी शुरू कर दी। मोदी अपनी कमजोर पंजाबी के लिए माफी मांगते हुए इससे बच निकले। इसके अलावा आपातकाल के दौरान मोदी की बारीक प्लानिंग की झलक मिली।
- कई सहयोगियों ने बताया कि चौरतरफा पुलिस की निगरानी और छापे की आशंका को देखते हुए मोदी बैठकों की प्लानिंग ऐसे घर में ही करते थे, जिनमें दो से अधिक निकास हो, ताकि पुलिस छापे की स्थिति में सब बचकर निकल सके। इसी तरह से बहुत सारे सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार वालों के लिए भरन-पोषण का संकट खड़ा हो गया। मोदी ने आरएसएस के शुभ चितकों के साथ मिलकर धन जुटाया और ऐसे सभी सहयोगियों के परिवारों तक मदद पहुंचाना सुनिश्चित किया।
ट्रेन से भेजते थे प्रचार सामग्री
इसी तरह से आपातकाल के खिलाफ लड़ाई को जारी रखने के लिए कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखना बहुत अहम था। एक सहयोगी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह से पुलिस की गिरफ्तारी और ज्यादती से बचने के लिए आरएसएस और जनसंघ के लोग कांग्रेस में शामिल होने लगे थे। लेकिन मोदी उन्हें न सिर्फ रोकने में सफल रहे, बल्कि आपातकाल के खिलाफ सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की। आपातकाल के दौरान सबसे बड़ी चुनौती उसके खिलाफ प्रचार सामग्री को तैयार करने और उनके वितरण की थी।
युवा प्रचारक के रूप में मोदी इसे सुचारू रूप से चलाते रहे। एक सहयोगी के अनुसार मोदी न सिर्फ गुजरात बल्कि दूसरे राज्यों में भी प्रचार सामग्री को पहुंचाने का अनोखा तरीका खोज लिया था। इसके लिए वे डाकतार विभाग का उपयोग नहीं करते थे क्योंकि वहां प्रचार सामग्री के पकड़े जाने की आशंका थी। वे रेलवे के माध्यम से इसे एक से दूसरी जगह पहुंचाते थे और यह नेटवर्क ऐसा था कि किसी को भी भनक तक नहीं लगी।
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