भारत ने की पाक से वार्ता रद तो सार्क सम्मेलन पर भी छाए आशंका के बादल
भारत द्वारा पाकिस्तान से वार्ता रद करने के बाद अब एक बार फिर से सार्क सम्मेलन के आयोजन पर आशंका के बादल छा गए हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 18 सितंबर 2016, ये वो तारीख है जब आतंकियों ने उरी स्थित सेना के कैंप पर हमला कर 23 जवानों की हत्या कर दी थी। इस घटना को दो वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस तरह की यह घटना न तो पहली थी न ही आखिरी, लेकिन इस घटना के बाद काफी कुछ ऐसा हुआ जिसको पूरी दुनिया ने देखा। मसलन पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक उरी हमले का ही जवाब था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों ने सीमा पार जाकर 30 आतंकियों को ढेर किया और उनके कई कैंपों को नष्ट कर दिया था। बहरहाल, उरी हमले के बाद एक खास बात और हुई और वह थी पाकिस्तान का बहिष्कार और उसके साथ किसी भी तरह की वार्ता से इंकार।
सार्क सम्मेलन के रद होने की संभावना
उरी हमले के बाद लगातार पाकिस्तान से होने वाली किसी भी तरह की वार्ता का भारत ने बहिष्कार किया है। भारत के वार्ता से इंकार के बाद एक बार फिर से सार्क सम्मेलन के रद होने की भी संभावना बन गई है। दरअसल, यह सम्मेलन पाकिस्तान में होना है। पिछली बार भी भारत द्वारा इसका बहिष्कार किए जाने के बाद श्रीलंका, नेपाल समेत दूसरे दशों ने भी इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था। इस बार फिर से ऐसे ही हालात पैदा हो गए हैं जिसके बाद सार्क सम्मेलन के रद होने की संभावना कहीं ज्यादा बन गई है। आखिरी बार यह सम्मेलन नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने हिस्सा लिया था। लेकिन इस सम्मेलन के दौरान दोनों के बीच शिष्टाचार भेंट तक भी नहीं हुई थी। सार्क के फिलहाल आठ देश सदस्य हैं-अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका।
पाकिस्तान में बौखलाहट
उरी हमले के ठीक दो साल के बाद जब एक बार फिर भारत ने जब पाकिस्तान से वार्ता करने से इंकार किया तो पाकिस्तान में बौखलाहट साफतौर पर दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि जिस वक्त उरी हमला हुआ था उस वक्त पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी, लेकिन अब वहां का निजाम बदल चुका है और देश की कमान इमरान खान के हाथों में है। यहां पर ये भी ध्यान में रखने वाली बात है कि इमरान खान ने सत्ता संभालने के दौरान कहा था कि वह बातचीत के पक्षधर हैं। उन्होंने उस वक्त यह कहते हुए उम्मीद भी जताई थी कि यदि भारत एक कदम आगे बढ़ेगा तो पाकिस्तान दो कदम चलने के लिए तैयार है।
कथन-करनी अलग
लेकिन उनकी कथनी और करनी में उस वक्त फर्क दिखाई दिया जब भारतीय सैनिकों के शवों के साथ पाकिस्तान ने बर्बर सलूक किया। उस वक्त पाकिस्तान के किसी भी नेता ने इसकी आलोचना करना भी मुनासिब नहीं समझा। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने आतंकी बुरहान वानी के सम्मान में डाक टिकट तक जारी कर दिया। आलम यह रहा कि जब भारत ने वाशिंगटन में होने वाली वार्ता से इंकार किया तो इमरान खान की तरफ से ट्वीट कर सीधेतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना बनाया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ‘जिंदगी भर मेरा सामना ऊंची कुर्सियों पर बैठे छोटी सोच वाले ऐसे लोगों से होता रहा है, जिनके पास दूरदर्शी नजरिये का अभाव रहा है।’
भारत की नाराजगी
आतंकी के सम्मान में डाक टिकट जारी करना और भारतीय जवानों और पुलिसकर्मियों के शवों से बर्बरता के खिलाफ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, कि पाकिस्तान नहीं सुधरने वाला है। बदली हुई परिस्थितियों के चलते भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच न्यूयार्क में कोई बैठक नहीं होगी।’ इससे तिलमिलाए इमरान ने ट्विटर के जरिये भारतीय नेतृत्व पर हमला बोल दिया। उनका कहना था, ‘शांति बहाली के लिए बातचीत शुरू करने की मेरी पहल पर भारत के अहंकारी व नकारात्मक जवाब से बेहद निराश हूं।’ इमरान से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी वार्ता रद होने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने वार्ता शुरू करने की पहल की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। शांति बहाली का एक मौका गंवा दिया।’
जनरल का बयान
जम्मू कश्मीर में जवानों के शवों के साथ हुई बर्बरता के बाद सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पाकिस्तान को उसकी बर्बरता का उचित समय पर जवाब दिया जाएगा। हमारी सेना पाक की तरह बर्बरता नहीं करेगी, लेकिन जवाब अवश्य देगी, क्योंकि उसको भी दर्द देने की जरूरत है। इसके जवाब में पाकिस्तान सेना के जनरल ने भी कहा है कि उनकी सेना युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है।