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    संयुक्त राष्ट्र में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बोले- तकनीक सबको समान बनाती है, बांटती नहीं

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 29 Apr 2021 04:49 PM (IST)

    डिजिटल सहयोग और कनेक्टिविटी के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में हुई वर्चुअल चर्चा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने जरूरत बताई है कि डिजिटल दुनिया तक सबकी पहुंच बेहद महत्वपूर्ण है।

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    केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि महामारी ने जरूरत बताई है कि डिजिटल दुनिया तक सबकी पहुंच हो।

    संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। इलेक्ट्रानिक्स और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (Minister of Electronics and Information Technology) रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) का कहना है कि तकनीक सबको समान बनाती है ना कि बांटती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने डिजिटल क्षेत्र में बंटवारे को धता बता दिया है और यह जरूरत बताई है कि डिजिटल दुनिया तक सबकी पहुंच बेहद महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक समानता के लिए बेहद जरूरी है।

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    कोरोना संकट में बदली दुनिया  

    डिजिटल सहयोग और कनेक्टिविटी के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में हुई वर्चुअल चर्चा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Minister of Electronics and Information Technology Ravi Shankar Prasad) ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के वर्ष 2020 में पूरी दुनिया में डिजिटल बदलाव हुए। यह बदलाव इतनी तेजी से हुए जैसी किसी ने पहले कभी कल्पना तक नहीं की थी।

    खत्‍म हों डिजिटल भेदभाव

    केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि अब पूरा समाज डिजिटल भेदभाव की समाप्ति चाहता है। इस वैश्विक महामारी के चलते दुनिया ने तकनीक की अहमियत को सही अर्थों में पहचानना शुरू किया है। समानता वाले समाज के लिए हर किसी को डिजिटल पहुंच जरूरी है। उन्होंने कहा कि तकनीक तटस्थ होती है। लेकिन आधी से ज्यादा दुनिया की पहुंच हाईस्पीड ब्राडबैंड से नहीं है। इसलिए अभी डिजिटल क्रांति आना बेहद जरूरी है।

    इन क्षेत्रों में बेहतरीन तकनीक की जरूरत 

    प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि कोविड-19 के कारण बेहतरीन तकनीकों की जरूरत महसूस हुई है। खासकर शिक्षा और मेडिसिन के क्षेत्र में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मुहम्मद ने महासभा की चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि विश्व की 3.7 अरब आबादी जिसमें अधिकांशत: विकासशील देश आते हैं, अब भी ऑफलाइन हैं। इन वंचितों में भी अधिकांश महिलाएं ही हैं। उन्होंने कहा कि इस भेदभाव को कोविड-19 के संकट ने उजागर किया है।