भारत के खिलाफ चीन के सरकारी मीडिया का प्रोपगंडा हुआ तेज, एलएसी को लेकर कही यह बात
चीन सरकार के मुखपत्र समझे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हाल के दिनों में भारत के खिलाफ कई आलेख लिख कर संदेश देने की कोशिश की है। इसमें प्रकाशित एक आलेख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने की भारत की मांग को कल्पना करार दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जब भी भारत और चीन के बीच किसी भी बात को लेकर तनाव बढ़ता है तो चीन की सरकारी मीडिया भारत के खिलाफ खुल कर प्रोपेगंडा में जुट जाती है। मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा पर सैन्य बढ़ने के साथ ही इसने जमकर भारत के खिलाफ जहर उगला लेकिन बाद में यह कुछ शांत हो गया। लेकिन अब अचानक ही चीन सरकार के मुखपत्र समझे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हाल के दिनों में भारत के खिलाफ कई आलेख लिख कर संदेश देने की कोशिश की है। इसमें प्रकाशित एक आलेख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल, 2020 की स्थिति बहाल करने की भारत की मांग को कल्पना करार दिया गया है। जबकि एक अलग आलेख में क्वाड और ब्रिक्स के बीच सामंजस्य बनाने में जुटे भारत की योजना पर सवाल उठाते हुए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भारत की भलाई ब्रिक्स के साथ ही हैं। ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में छपी बातों को चीन सरकार के विचार के तौर पर ही देखा जाता है।
कहा- एलएसी पर अप्रैल, 2020 के पहले की स्थिति बहाल करना कल्पना
24 सितंबर, 2022 को इसमें प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि 'भारत में भी कुछ लोग हैं जो यह अवास्तविक कल्पना पाले हुए हैं कि भारत-चीन सीमा पर अप्रैल, 2020 वाली स्थिति बहाल हो सकती है। चीन पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि यह स्थिति भारत की तरफ से गैर कानूनी तरीके से सीमा पार करने के कारण हुई है और यह चीन को स्वीकार्य नहीं है। चीन पहले ही यह कई बार कह चुका है कि गलती-सही क्या है और गलती चीन की तरफ से नहीं हुई है।'
भारत व चीन के रिश्ते में तनाव घोलने वालों को दुष्ट तत्व करार दिया
आगे इस पत्र ने भारतीय मीडिया पर ही जिम्मेदारी डाल दी है जो राष्ट्रीय भावनाओं के मामले में तथ्यों को तोड़ रही है और इससे भारत व चीन के रिश्तों पर असर होता है। यह सलाह भी दी गई है कि इन हालातों में भारत सरकार को आत्मविश्वास दिखाना चाहिए और शोर-शराबे पर ध्यान नहीं देते हुए चीन के साथ सीमा पर अमन-शांति बनाने का काम करना चाहिए जो भारत के हित में है।
इसी संपादकीय में भारत व चीन के रिश्ते में तनाव घोलने वालों को दुष्ट तत्व करार दिया गया है और कहा गया है कि इन तत्वों को झाड़ू से साफ नहीं किया जा सकता। भारत व चीन के रिश्ते को इन आतंरिक व बाहरी तत्वों को पार पा कर ही मजबूत बनाया जा सकता है। भारत को पूर्व में भी राष्ट्रीय भावनाओं को उभारने की कोशिशों की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ी है। इसमें हाल ही में भारत व चीन के बीच सैन्य तनाव को घटाने के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत किया गया है लेकिन इस संदर्भ में भारत के भीतर इस बारे में किये गये समझौते को भारत की हार के तौर पर चिन्हित करने पर सवाल उठाया गया है।
ब्रिक्स को हर लिहाज से बदल रही दुनिया में ज्यादा महत्वपूर्ण बताया
इसी तरह से शनिवार को छपे एक अन्य आलेख में ग्लोबल टाइम्स ने भारत की ब्रिक्स व क्वाड संगठन के बीच तरतम्यता बनाने की कूटनीति पर विस्तृत टिप्पणी की है। इसमें ब्रिक्स को हर लिहाज से यूक्रेन संकट के बाद बदल रही दुनिया में ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। क्वाड को शीतयुद्ध कालीन मानसिकता का वाहक बताया गया है जबकि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका का संगठन) को अलग अलग मूल्यों वाले देशों को एक साथ मिल कर वैश्विक भलाई के लिए काम करने वाले संगठन के तौर पर पेश किया है।
भारत को कहा गया है कि दोनो पर एक साथ चलने की उसकी नीति की वजह से उसके लिए आगे का रास्ता संकीर्ण हो जाएगा। साथ ही दूसरे सदस्य देशों को आगाह किया गया है कि उन्हें भारत को लेकर सतर्क रहना चाहिए कि कहीं उसकी वजह से ब्रिक्स व्यवस्था को नुकसान ना पहुंचे।
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