World Para Athletics Championships: दिल्ली की छवि पर दाग के बाद भी नहीं हटाए गए जेएलएन स्टेडियम से कुत्ते
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में आवारा कुत्तों की समस्या बनी हुई है। दो विदेशी कोचों को कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटना के बाद खिलाड़ियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।एमसीडी ने कुछ कुत्तों को पकड़ा है लेकिन पशु प्रेमियों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

लोकेश शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में आवारा कुत्तों की समस्या लगातार बनी हुई है। दो विदेशी कोचों को कुत्तों द्वारा काटे जाने की शर्मनाक घटना ने न केवल खिलाड़ियों और अधिकारियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि दिल्ली की छवि पर भी दाग लगाया है।
घटना के दूसरे ही दिन सुबह अभ्यास सत्र के दौरान चार से पांच आवारा कुत्ते स्टेडियम परिसर व ट्रैक पर घूमते नजर आए। ट्रैक पर दौड़ लगाने पहुंचे एथलीट कुत्तों की मौजूदगी से घबराए और असमंजस की स्थिति बनी रही। खिलाड़ियों और कोचों का कहना है कि इस तरह का माहौल उनके प्रदर्शन और मानसिक तैयारी पर बुरा असर डाल सकता है।
World Para Athletics Championships: नहीं हटाए गए कुत्ते
जिस दिन कोचों को कुत्तों ने काटा था, उस दिन वहां से लगभग 22 कुत्तों को पकड़ा गया। पैरा एथलेटिक्स कमेटी आफ इंडिया (पीसीआई) के तकनीकी निदेशक सत्यपाल सिंह ने बताया कि दो एमसीडी ने दो वैन को तैनात कर दिया गया है।
एमसीडी के 20 से 22 कर्मियों को भी यहां कुत्तों से बचाव के लिए रखा गया है। हमारे यहां मेहमान आए हुए है उन्हें कुत्ते ने काटा ये बेहद दुखद है। आज हमें ट्रैक पर कुत्ते नहीं दिखे लेकिन हो सकता है सुबह अभ्यास के दौरान कुत्ते आए हो। क्योंकि बहुत सारे गेट है कोई कुत्ता कब आ जाए पता नहीं चलता।
पूरे स्टेडियम परिसर के पास 50 से 52 कुत्ते है कुछ पकड़े गए है। कुछ को पकड़ने का काम चल रहा है। 104 देशों से करीब 2200 एथलीट इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई है। एथलीटों और विदेशी कोचों व खिलाड़ियों की मांग है कि जल्द से जल्द स्टेडियम और उसके आसपास से कुत्तों को पूरी तरह हटाकर उन्हें सुरक्षित माहौल दिया जाए।
पशु प्रेमी बना रहे कुत्तों को नहीं पकड़ने का दवाब
सत्यपाल ने बताया कि मेरे पास पशु प्रेमियों का नोटिस आया है। वह इन कुत्तों को यहां से हटान व पकड़े जाने के विरुद्ध में आ गए है। वहीं मुझ पर कुत्तों को यहां से नहीं हटाने का दवाब भी बनाया जा रहा है। मेरे पास पशुओं प्रेमियों (एनजीओ) का फोन भी आया था। जैसे ही कुत्तों को एमसीडी ने पकड़ना शुरू किया वैसे ही पशु प्रेमी सक्रिय हो गए है।
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