राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली मुक्केबाज निखत जरीन ने कहा- मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक 2024
भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने देश के माता-पिता से आग्रह किया है कि वे लड़कियों के प्रति अपनी मानसिकता बदलें। वे अपने जीवन में जो कुछ भी करना चाहती हैं उसमें उनका समर्थन करें। क्योंकि वह खुद अपनी मां में यह बदलाव लेकर आई हैं।

नई दिल्ली, एएनआई। पिछले साल तुर्की में महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन का अगला लक्ष्य पेरिस ओलंपिक 2024 में पदक जीतने पर है। निकहत ज़रीन ने बोरिया मजूमदार शो इसका खुलासा किया।
जरीन ने कहा, “विश्व चैंपियनशिप के बाद बहुत सारे कार्यक्रम और सम्मान थे और फिर हमारे पास आयरलैंड में दो सप्ताह की ट्रेनिंग का समय था। मेरा ध्यान हमेशा स्वर्ण पदक पर था और मैं स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपना कुछ भी त्याग करने के लिए तैयार थी। वास्तव में, मैं सब कुछ जीतना चाहती हूं और अंतिम लक्ष्य 2024 का पेरिस ओलंपिक है।” बता दें कि बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में प्रतिस्पर्धा करते हुए भारतीय मुक्केबाज को अपना वजन वर्ग बदलना पड़ा।
बड़े टुर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने का विश्वास
निखत ने कहा “आखिरकार मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है और मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं दूंगा। बर्मिंघम में खचाखच भरे दर्शकों के सामने स्वर्ण पदक जीतना गर्व की बात थी। मैंने विश्व चैंपियनशिप में जो प्रतिस्पर्धा की थी, अब मुझे बड़े टुर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने का विश्वास है।”
भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने देश के माता-पिता से आग्रह किया है कि वे लड़कियों के प्रति अपनी मानसिकता बदलें। वे अपने जीवन में जो कुछ भी करना चाहती हैं, उसमें उनका समर्थन करें। क्योंकि वह खुद अपनी मां में यह बदलाव लेकर आई हैं। पहले वह एक लड़की के बॉक्सिंग को पेशे के रूप में अपनाने के पक्ष में नहीं थी और अब वह माता-पिता से आग्रह करती है कि वे अपने बच्चों को बॉक्सिंग को एक पेशे के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
गोल्ड मेडल जीतने वाली पांचवी भारतीय महिला
छह बार की चैंपियन मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006) के बाद निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी मुक्केबाज विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली केवल पांचवीं भारतीय महिला हैं। निखत से पहले जेनी आरएल (2006) और लेखा केसी (2006) ने यह कमाल किया है।
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