58 की उम्र में मुक्के खाने वाले टायसन से बड़ी प्रेरणा कोई नहीं : नीरज गोयत
भारत के पेशेवर मुक्केबाज नीरज ने हाल ही में अमेरिका में शानदार फाइट लड़ी और जीती। इसी के साथ उनका नाम पूरी दुनिया में छा गया। नीरज के मैच के बाद दिग्गज मुक्केबाज माइक टायसन की फाइट थी। इस फाइट को देखने के बाद नीरज और ज्यादा टायसन के मुरीद हो गए। उन्होंने कहा कि टायसन बचपन से उनकी प्रेरणा रहे हैं। पढ़िए नीरज का दैनिक जागरण के साथ इंटरव्यू।

टेक्सास के एटीएंडटी एरिना में हुई माइक टायसन और जैक पाल की बहुचर्चित फाइट से पहले भारतीय पेशेवर मुक्केबाज नीरज गोयत ने ब्राजील के विंडसर नूनेस को एकतरफा मुकाबले में हराया था, जो अमेरिका में उनकी पहली जीत थी। नीरज ने कहा कि टायसन उनके आदर्श हैं और इस उम्र में भी उनका जज्बा गजब का है। करनाल के बेगमपुर गांव के रहने वाले नीरज ने कहा कि उनकी जीत ने दुनिया को दिखाया कि भारत के मुक्केबाजों में बहुत दम है। नीरज से दैनिक जागरण संवाददाता नितिन नागर ने विशेष बातचीत की।
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पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
सवाल- हाल ही में आपने सुपर मिडिलवेट फाइट में ब्राजील के विंडसर नूनेस को हराया। इस जीत को आप अपने करियर के लिए कैसे देखते हैं?
नीरज- मुझे पेशेवर मुक्केबाजी करते हुए 10 साल हो गए हैं और ये अमेरिका में मेरी पहली फाइट थी। मेरी यही कोशिश थी कि इस फाइट में मेरी छाप अमेरिका में हो,लेकिन कुदरत कुछ और ही चाहती थी। इस जीत के बाद मेरी छाप केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो गई कि भारत के मुक्केबाज भी बहुत तगड़े हैं। ये जीत मेरे लिए बहुत जरूरी थी और इससे आने वाले करियर में मुझे और अच्छी फाइट मिलेंगी।
सवाल-आपकी फाइट के बाद माइक टायसन और जैक पाल के बीच फाइट हुई, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें थी। इस पर क्या कहेंगे?
नीरज- माइक टायसन मेरे आदर्श रहे हैं। उन्होंने 58 वर्ष की उम्र में रिंग में उतरकर न केवल मुझे प्रेरित किया बल्कि उन सभी लोगों को भी प्रेरित किया है, जो उम्र के इस पड़ाव पर हैं। उन्होंने दिखाया कि उम्र केवल एक नंबर है। वह करीब 23 मिनट तक रिंग में खड़े रहे। इस उम्र में 23 मिनट तक मुक्केबाजी रिंग में मुक्के खाना और बचाना आसान नहीं है। 60 वर्ष का कोई भी आदमी 10 किलोमीटर वॉक करते हुए बोलता है कि कल करूंगा, तो माइक टायसन से बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती
सवाल- आपकी जीत के बाद आपके घर, करनाल में कैसा माहौल था?
नीरज- घर पर सब खुश हैं क्योंकि मैं इतिहास बनाकर आया हूं। इसमें मेरे परिवार और मेरे दोस्तों का बहुत बड़ा हाथ है।
सवाल- मुक्केबाजी हो, यूएफसी हो या अन्य काम्बैट खेलों में भारत के कई खिलाड़ी उभरकर सामने आए हैं। आप भारत में काम्बैट स्पोर्ट्स के भविष्य को कैसे देखते है?
नीरज- अभी केवल दो या तीन खिलाड़ी ही काम्बैट खेलों में बड़े मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यूएफसी में अंशुल जुबली, पूजा तोमर खेले हैं, वन चैंपियनशिप में रितू फोगाट हैं। मुक्केबाजी में विजेंद्र पेशेवर खेले हैं, मैं हूं। लेकिन आज से 10 साल पहले स्थिति अलग थी। इतने अवसर नहीं थे। अब यूएफसी हो अन्य काम्बैट स्पोर्ट्स हो, सभी की नजरें भारत पर हैं। सबसे बड़ा कारण यहां इन खेलों का दर्शकवर्ग बहुत बड़ा है। खिलाड़ी भी अच्छे हैं और अब मौके मिल रहे हैं।
सवाल- जो भारतीय मुक्केबाज पेशेवर मुक्केबाजी में आना चाहते हैं, उनको आप क्या सलाह देंगे?
नीरज- भारत के जो मुक्केबाज अभी एम्च्योर खेल रहे हैं, उन्हें कामनवेल्थ, एशियाड और ओलंपिक खेलने के लिए प्रयास करना चाहिए। जो भी मुक्केबाज हैं, उन्हें सीनियर और नेशनल मुक्केबाजी जरूर खेलना चाहिए, वहां पर जीतो। उसके बाद आप पेशेवर मुक्केबाजी में ट्राई करो क्योंकि यह काफी खतरनाक खेल है। हम न तो मैक्सिको में रहते हैं और हमारा मुक्केबाजी स्टाइल भी पेशेवर से बिल्कुल अलग है। एमेच्योर मुक्केबाजी में पहले खूब मुक्के खाओ, फिर पेशेवर में आओ।
सवाल- आप मुक्केबाज नहीं होते तो कौन सा खेल खेलते ?
नीरज- मुझे कबड्डी पसंद है क्योंकि यह भारत की जड़ों से जुड़ा खेल है। अगर मैं मुझे कबड्डी खेलना होता तो मैं डिफेंडर बनता। भारत में अब कबड्डी भी पेशेवर हो गया है। प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) ने इस खेल को बहुत आगे बढ़ाया है। कबड्डी की लोकप्रियता बढ़ी है और प्रो कबड्डी लीग की वजह से हमें कई अच्छे खिलाड़ी मिल रहे हैं।

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