Paris Olympics 2024: पदक की चाबी से खुलता है मनु के घर का ताला, मैच के दौरान दरवाजा बंद कर पूजा-पाठ करता है परिवार
सूरजकुंड रोड स्थित इबीजा टाउन में रहने वाले मनु भाकर के पिता रामकिशन और माता सुमेधा भाकर सोमवार को सुबह से ही पूजा पाठ में लगे हुए थे। मिक्स्ड टीम स्प ...और पढ़ें
दीपक पांडेय, जागरण फरीदाबाद। एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर इतिहास बनाने वाली शूटर मनु भाकर के घर का दरवाजा भी पदक की चाबी से खुलता है। मुकाबले के दौरान स्वजन अंदर से घर का ताला लगाकर पूजा पाठ में तल्लीन हो जाते हैं। पड़ोसियों को भी जानकारी नहीं होती है कि स्वजन कहां गए हैं। पदक जीतने के बाद ही दरवाजे खुलते हैं।
सूरजकुंड रोड स्थित इबीजा टाउन में रहने वाले मनु भाकर के पिता रामकिशन और माता सुमेधा भाकर सोमवार को सुबह से ही पूजा पाठ में लगे हुए थे। मनु के घर का दरवाजा बंद होने की वजह से पड़ोसियों को भ्रम हो गया कि सभी झज्जर निकल गए, क्योंकि मनु मूल रूप से झज्जर की रहने वाली हैं, लेकिन जैसे ही मनु और सरबजोत की जोड़ी ने 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया।
रह बड़े मुकाबले में पूजा-पाठ का चलता है दौर
वैसे ही मनु के घर के दरवाजे भी खुल गए। मां सुमेधा भाकर ने बताया कि न केवल ओलंपिक बल्कि मनु के हर बड़े मुकाबले में पूजा पाठ का यह दौर चलता है। उन्होंने कहा कि मनु के जीवन को आगे बढ़ाने में श्रीमद्भगवत गीता का बड़ा महत्व है, क्योंकि उसी से प्रेरित होकर उनकी बेटी ने यह सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि मनु के साथ-साथ उनको सरबजोत पर भी पूरा भरोसा था।
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बेटी के साथ जाना चाहती थी मां
मिक्स्ड टीम स्पर्धा में पदक जीतने पर मां सुमेधा भाकर और रामकिशन भाकर ने कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में जाकर केक काटा। मां सुमेधा बताती हैं कि मनु पूरी तरह से शाकाहारी हैं। ऐसे में बेटी के खाने की चिंता हमेशा लगी रहती है। वह उसके खाने की परेशानी की वजह से बेटी के साथ पेरिस जाना चाहती थीं, लेकिन बेटे की परीक्षा की वजह से उनको यहां पर रुकना पड़ा। मनु भाकर के दिन की शुरुआत योग और ध्यान के साथ होती है।

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