Kho-Kho का भविष्य नहीं, तानों को किया दरकिनार; कप्तान प्रियंका इंगले ने खोले अपनी जिंदगी के राज
भारत में आयोजित खो-खो विश्व कप 2025 में भारतीय महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नाकआउट चरण में जगह बना ली है। टीम की कप्तान प्रियंका इंगले ने अपने नेतृत्व और खेल कौशल से सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत में अपने सफर अनुभव और इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट को लेकर अपने विचार साझा किए।

लोकेश शर्मा, जागरण नई दिल्ली: भारत में आयोजित खो-खो विश्व कप 2025 में भारतीय महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नाकआउट चरण में जगह बना ली है। टीम की कप्तान प्रियंका इंगले ने अपने नेतृत्व और खेल कौशल से सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत में अपने सफर, अनुभव और इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट को लेकर अपने विचार साझा किए।
सपना सच होने जैसा
प्रियंका इंगले ने बताया यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान और जिम्मेदारी है। मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। जब मुझे कप्तानी की घोषणा की गई, तो पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। यह एक सपना सच होने जैसा है। मैं उन सभी लोगों का दिल से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने हर समय मेरा साथ दिया चाहे वह अच्छे समय में हो या बुरे। भारतीय टीम की कप्तानी करना आसान नहीं है, लेकिन महासंघ और प्रशासनिक निकायों के समर्थन ने इसे संभव बनाया।
15 साल से खेल रही खो-खो
प्रियंका ने अपने खेल के सफर के बारे में बताते हुए कहा मैं 15 साल से खो-खो खेल रही हूं। जब मैंने शुरुआत की थी, तब यह खेल मिट्टी पर खेला जाता था। उस समय कोई बड़ा प्लेटफॉर्म नहीं था। लेकिन फिर अल्टीमेट खो-खो और अन्य प्रयासों के कारण यह खेल अब मैट पर खेला जाता है और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। 2016 से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट शुरू हुए और अब तक सात से आठ टूर्नामेंट आयोजित हो चुके हैं। पहले हम केवल राष्ट्रीय स्तर पर खेलते थे, लेकिन अब विश्व कप जैसे आयोजनों में हिस्सा ले रहे हैं।
भारत में विश्व कप का आयोजन होना और खो-खो का ग्लोबल स्तर पर पहुंचना देश के लिए गर्व की बात है। प्रियंका ने कहा हमारा अगला सपना खो-खो को कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलिंपिक का हिस्सा बनते देखना है। अगर ऐसा हुआ तो यह भारतीय खेल जगत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
प्रियंका ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, मैं जब स्कूल में थी, तो अन्य लड़कियों को खो-खो खेलते हुए देखती थी। यह देखकर मुझे इसे खेलने की प्रेरणा मिली। मेरे होमग्राउंड के कोच ने मेरे खेल को निखारने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, जब मैंने पांचवीं कक्षा में खेलना शुरू किया, तो मेरे परिवार ने इसे लेकर आपत्ति जताई।
उनके अनुसार, इस खेल का कोई भविष्य नहीं था। लेकिन समय के साथ सब बदल गया। अब मेरा परिवार मेरे हर कदम पर साथ है। आज जब छोटी लड़कियां मुझे देखकर खो-खो खेलना शुरू करती हैं, तो मुझे बेहद गर्व महसूस होता है।
अब तक 23 खिताब जीते हैं
23 राष्ट्रीय खिताब और स्वर्ण पदक विजेता प्रियंका इंगले खो-खो के क्षेत्र में एक अनुभवी खिलाड़ी हैं। उन्होंने अब तक 23 राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए हैं और 2023 में चौथी एशियाई चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। प्रियंका इंगले का मानना है कि खो-खो का भविष्य उज्ज्वल है। अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने लगी है, जिससे इस खेल में युवाओं का रुझान भी बढ़ा है। अगर खो-खो को ओलंपिक या कामनवेल्थ गेम्स में शामिल किया जाता है, तो यह भारतीय खेल जगत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
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