UFC में पूजा का मुकाबला शाउना बैनन से, मैच से पहले कहा- लड़कियों के प्रति सोच बदलने के लिए सीखा मार्शल आर्ट
रिंग में द साइक्लोन के नाम से प्रख्यात पूजा ने यूएफसी की अपनी यात्रा को लेकर कहा मैं यूपी के मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव बुढ़ाना से आती हूं। वहां हमेशा ही लड़कों को ज्यादा सपोर्ट किया जाता था लड़कियों को लेकर वहां बहुत ही छोटा सोच था। मेरे दिमाग में हमेशा यही बात चलती थी कि मुझे इसे बदलना है।

खेल संवाददाता, नई दिल्ली। अल्टीमेट फाइट चैंपियनशिप (यूएफसी) में भारत की पहली महिला फाइटर पूजा तोमर शनिवार को आयरलैंड की शाउना बैनन से भिड़ेंगी। यूपी के मुजफ्फरनगर के छोटे से गांव से निकलकर यूएफसी जैसे बड़े मंच तक पहुंची पूजा ने कहा कि मेरी प्रतिद्वंद्वी ताइक्वांडो और जिजुत्सु में पारंगत है, लेकिन मैंने भी विशेष तैयारी की है। मैं भी अपने वुशू बैकग्राउंड का पूरा लाभ उठाऊंगी और इस फाइट को जीतकर दिखाऊंगी।
लंदन में होने वाली इस फाइट का प्रसारण सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क पर होगा। रिंग में द साइक्लोन के नाम से प्रख्यात पूजा ने यूएफसी की अपनी यात्रा को लेकर कहा, मैं यूपी के मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव बुढ़ाना से आती हूं। वहां हमेशा ही लड़कों को ज्यादा सपोर्ट किया जाता था, लड़कियों को लेकर वहां बहुत ही छोटा सोच था। मेरे दिमाग में हमेशा यही बात चलती थी कि मुझे इसे बदलना है।
बचपन में देखीं जैकी चेन की फिल्में
पूजा ने आगे कहा, मैं बचपन में टीवी पर जैकी चेन की फिल्में देखती थी और उनसे स्टंट सीखती थी और सोचती थी कि ये सीखकर मैं लड़कों को मारूंगी। मैं दिखाना चाहती थी कि लड़की भी किसी से कम नहीं है। मैं वुशू खेलती थी जो मार्शल आर्ट से काफी मिलता है। उसमें भी किक मार सकते हो, प्रतिद्वंद्वी को गिरा सकते हैं। इसके बाद मैंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) को चुना और इसमें वुशू से काफी मदद मिली। मुझे यहां तक पहुंचाने में काफी लोगों का योगदान रहा। मेरी बहनें, मां और मैट्रिक्स फाइट नाइट (एमएफएन) का इसमें बड़ा योगदान रहा है, जिससे काफी भारतीय एमएमए फाइटरों को आगे बढ़ने का मौका मिला।
द साइक्लोन के नाम से हैं फेमस
महिला एथलीट के रूप में काम्बैट स्पोर्ट्स (लड़ाकू खेल) चुनने को लेकर आई चुनौतियों पर पूजा ने कहा कि मेरा परिवार तो शुरू से इसके विरोध में था, लेकिन मां चाहती थी कि मैं मार्शल आर्ट जारी रखूं। ताऊ-चाचा को लगता था कि कहीं चोट लग गई तो शादी कौन करेगा, लेकिन मां को भरोसा था कि बेटी जरूर कुछ करेगी। यूएफसी अनुबंध पाने वाली पूजा पहली भारतीय फाइटर हैं। इस पर पूजा ने कहा कि यूएफसी आज सबका सपना है। मैं भी यूएफसी में लड़ने का सपना देखती थी और जब मुझे यह पता चला कि मुझे अनुबंध मिलने वाला है तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन अब यह सच है। मैं कहना चाहूंगी कि एमएमए में अब भारतीय महिला एथलीटों के लिए बहुत अवसर हैं। मैंने भारत में कई फाइट लड़ी हैं और देखा है कि अब बहुत कुछ बदला है।
अंशुल मामले में रेफरी ने की थी जल्दबाजी
बीते महीने क्विलियान सालकिल्ड के खिलाफ भारतीय फाइटर अंशुल जुबली को नाकआउट करार देते हुए रेफरी ने फाइट को केवल 19 सेकेंड के भीतर रोक दिया था। इस पर अंशुल ने विरोध भी दर्ज कराया था। इस पर पूजा ने कहा कि मुझे लगता है कि इस फाइट के लिए अंशुल ने काफी तैयारी की थी और रेफरी ने जल्दबाजी में उन्हें नाकआउट दे दिया। लेकिन यूएफसी में एक बार रेफरी फाइट रोक देता है तो वहीं अंतिम फैसला होता है।
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