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    World Boxing Championship: जैस्मीन और मीनाक्षी ओलंपिक मेडलिस्ट को हराकर बनीं वर्ल्ड चैंपियन, मैरी कॉम की लिस्ट में लिखवाया नाम

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:13 PM (IST)

    भारतीय मुक्केबाज जैस्मीन लंबोरिया और मीनाक्षी हुड्डा ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपने-अपने वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। जैस्मीन ने 57 किग्रा वर्ग में पोलैंड की जूलिया जेरेमेटा को हराया जबकि मीनाक्षी ने 48 किग्रा वर्ग में कजाखस्तान की नाजिम काइजेबे को पराजित किया। नुपूर शेरोन को रजत और पूजा रानी को कांस्य पदक मिला।

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    जैस्मीन और मीनाक्षी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में हासिल की खिताबी जीत

    लिवरपूल, पीटीआई: भारतीय मुक्केबाज जैस्मीन लंबोरिया (57 किग्रा) और मीनाक्षी हुड्डा (48 किग्रा) ने अपना नाम इतिहास में दर्ज कराते हुए विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कड़े मुकाबलों में अपने-अपने वर्ग में खिताब जीते। जैस्मीन ने पेरिस ओलंपिक की रजत पदक विजेता पोलैंड की जूलिया जेरेमेटा को हराकर फीदरवेट वर्ग में चैंपियन बन गई।

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    पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली जैस्मीन ने 57 किलोवर्ग के फाइनल में शनिवार को देर रात 4-1 से जीत दर्ज की। वहीं, मीनाक्षी ने रविवार को जैसमीन की उपलब्धि को दोहराते हुए पेरिस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता कजाखस्तान की नाजिम काइजेबे को 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में इसी अंतर से हराया। नुपूर शेरोन (80 प्लस किलो ) और पूजा रानी (80 किलो) को गैर ओलंपिक भारवर्ग में क्रमश: रजत और कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

    दिग्गजों की सूची में लिखवाया नाम

    इस जीत के साथ जैस्मीन और मीनाक्षी विश्व चैंपियन बनने वाली भारतीय मुक्केबाजों की सूची में शामिल हो गई हैं। इससे पहले छह बार की चैंपियन एमसी मेरीकोम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), दो बार की विजेता निकहत जरीन (2022 और 2023), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006), लेखा केसी (2006), नीतू गंघास (2023), लवलीना बोरगोहेन (2023) और स्वीटी बूरा (2023) यह खिताब जीत चुकी हैं।

    तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप में भाग ले रही 24 वर्षीय जैस्मीन ने मुकाबले में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। शुरू में दोनों मुक्केबाज एक-दूसरे को परख रही थीं लेकिन रेफरी के उकसावे पर जेरेमेटा ने पहला वार किया। ओलंपिक फाइनल में लिन यू-टिंग से हारने वाली पोलैंड की यह मुक्केबाज तेज और सटीक थी और रक्षात्मक रणनीति का इस्तेमाल करते हुए तेजी से अंदर-बाहर हो रही थी।

    उन्होंने पहला राउंड 3-2 से जीत लिया। लेकिन दूसरे राउंड में भारतीय खिलाड़ी ने जोरदार वापसी की। जैस्मीन ने मुकाबले पर नियंत्रण बनाया तथा आक्रमण और रक्षण के बीच शानदार समन्वय स्थापित किया जिससे सभी जज उनके पक्ष में हो गए। पदक समारोह में, जब पूरे स्टेडियम में भारतीय राष्ट्रगान गूंज रहा था, तो उनकी आंखें चमक उठीं।

    नुपूर को मिला सिल्वर

    एक अन्य फाइनल में नुपूर को पोलैंड की तकनीकी रूप से कुशल अगाता काज्मास्र्का से 2-3 से हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें रजत पदक मिला। नुपूर अपने लंबे कद के बावजूद मुकाबले में खुद को हावी नहीं कर पाईं। उन्होंने शानदार शुरुआत की और मुक्कों की झड़ी लगा दी, लेकिन काज्मास्र्का ने लगातार आक्रामकता से जवाब दिया और ऐसे वार किए कि भारतीय खिलाड़ी निढाल हो गई।

    जैसे-जैसे मुकाबला आगे बढ़ा, नुपूर मुक्के मारने में हिचकिचाने लगीं, जबकि पोलैंड की खिलाड़ी लगातार आक्रमण करती रही। निर्णायक क्षण अंतिम राउंड में आया जब अगाता ने एक जबरदस्त अपरकट लगाया जो मुकाबला 3-2 से उनके पक्ष में करने और उनके पहले विश्व खिताब को सुनिश्चित करने के लिए काफी था।

    इससे पहले सेमीफाइनल में पूजा को स्थानीय खिलाड़ी एमिली एस्कि्वथ के हाथों 1-4 के विभाजित फैसले से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। पूजा ने राउंड के बाद अपने नपे-तुले खेल से बढ़त बना ली। लेकिन एस्कि्वथ ने तेजी से अपने खेल की रणनीति में बदलाव करते हुए 34 वर्षीय पूजा की लय को बेअसर कर दिया।

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