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    'खेल अब खेल नहीं रहा, बल्कि राजनीति है', बीएफआई चुनावों के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी ने खींचा ध्यान

    दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को 21 अगस्त को चुनाव कराने की अनुमति दी लेकिन परिणाम याचिका पर निर्भर रहेंगे। अदालत ने खेल संहिता के उल्लंघन पर हस्तक्षेप की चेतावनी दी और कहा कि संविधान खेल संहिता के विरुद्ध नहीं हो सकता। चुनावों के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी ने सभी का ध्यान खींचा है।

    By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Mon, 18 Aug 2025 10:46 PM (IST)
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    दिल्ली हाई कोर्ट ने बीएफआई चुनावों को लेकर दिया आदेश

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को 21 अगस्त को अपने चुनाव कराने की अनुमति देते हुए टिप्पणी की कि खेल अब खेल नहीं रहा, बल्कि राजनीति है। हालांकि, न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि चुनाव के परिणाम याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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    साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई किश्तों के बजाय अदालत मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। अदालत ने खेल संहिता के किसी भी उल्लंघन पर हस्तक्षेप करने की चेतावनी देते हुए कहा कि संविधान खेल संहिता और नियमों के विरुद्ध नहीं हो सकता। पीठ ने यह भी कहा कि अदालत नए संविधान को कोई स्वीकृति नहीं दे रही है। मामले में आगे की सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

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    इन याचिकाओं की सुनवाई पर दिया आदेश

    अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ, मध्य प्रदेश एमेच्योर मुक्केबाजी संघ और गुजरात मुक्केबाजी संघ की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। विभिन्न संघों ने बीएफआई की अंतरिम समिति द्वारा चुनाव कराने के फैसले और नए संविधान की वैधता को चुनौती दी है। चार राज्य संघों ने बीएफआई के चुनावों के संचालन के संबंध में अधिकारियों की कार्रवाई को रद करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने 18 मई को एक नए संविधान की अवैध घोषणा, 31 जुलाई को अधिकार क्षेत्र से बाहर चुनाव नोटिस जारी करने और रिटर्निंग आफिसर की एकतरफा नियुक्ति का आरोप लगाया।

    लगातार आती रही बाधाएं

    बीएफआई के पिछले पदाधिकारियों का कार्यकाल दो फरवरी को समाप्त हो गया था और चुनाव शुरू में 28 मार्च के लिए निर्धारित थे, लेकिन कई अपीलों और प्रति-अपीलों सहित कानूनी विवादों के कारण प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी। चुनाव के लिए रिटर्निंग आफिसर बनाए गए दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरके गौबा ने भी अपने खिलाफ बदनाम करने के अभियान का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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