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    मैं पैसों के लिए शतरंज नहीं खेल रहा: गुकेश

    By Agency Edited By: Umesh Kumar
    Updated: Sun, 15 Dec 2024 09:02 PM (IST)

    World Chess Championship 2024 वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में भारत के डी गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बने। 18 वर्षीय ने 14वें गेम में चीन के डिंग लिरेन को हराकर प्रतिष्ठित खिताब जीता। वह विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। मैच में लिरेन एक गलती से पूरी बाजी पलट गई।

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    डी गुकेश ने कहा कि वह पैसे लिए चेस नहीं खेलते हैं।

    सिंगापुर, प्रेट्र। नए विश्व चैंपियन डी गुकेश के लिए करोड़पति बनने का तमगा बहुत मायने रखता है, लेकिन वह भौतिक लाभ के लिए नहीं खेलते बल्कि इसका आनंद उठाने के लिए खेलते हैं और वह इस लगाव को तब से बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं जब शतरंज बोर्ड उनके लिए सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था।

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    चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश अब 11.45 करोड़ रुपये अधिक अमीर हो गए हैं जो उन्हें फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को हराने के लिए फिडे से पुरस्कार राशि के रूप में मिलेगा। गुकेश के पिता रजनीकांत ने अपने बेटे के साथ सर्किट पर जाने के लिए 'ईएनटी सर्जन' के तौर पर अपना करियर छोड़ दिया, जबकि उनकी मां पद्मकुमारी एक माइक्रोबायोलाजिस्ट हैं जो परिवार की एकमात्र कमाने वाली बन गईं।

    करोड़पति बनना मायने रखता है

    यह पूछे जाने पर कि करोड़पति होना उनके लिए क्या मायने रखता है तो गुकेश ने एक साक्षात्कार के रूप में फिडे को बताया, 'यह बहुत मायने रखता है। जब मैं शतरंज में आया तो हमें एक परिवार के रूप में कुछ मुश्किल फैसले लेने पड़े। मेरे माता-पिता वित्तीय और भावनात्मक कठिनाइयों से गुजरे थे। अब, हम अधिक सहज हैं और मेरे माता-पिता को उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है।'

    पैसे लिए चेस नहीं खेलता

    उन्होंने कहा, 'व्यक्तिगत रूप से मैं पैसे के लिए शतरंज नहीं खेलता। वह हमेशा याद रखने की कोशिश करते हैं कि जब उसे अपना पहला शतरंज बोर्ड मिला था तो उन्होंने यह खेल क्यों खेलना शुरू किया था।

    नए विश्व चैंपियन बने गुकेश ने कहा, 'मैं अब भी वही बच्चा हूं जिसे शतरंज पसंद है। यह सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था।' मितभाषी विश्व चैंपियन के पिता उनके प्रबंधक की भूमिका निभाते हैं, उनकी सभी ऑफ-बोर्ड गतिविधियों का ध्यान रखते हैं और उन्हें खेल पर ध्यान केंद्रित करने देते हैं जबकि उनकी मां भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति का स्तंभ हैं।

    गुकेश ने कहा, 'मां अब भी कहती हैं। मुझे यह जानकर खुशी होगी कि तुम एक महान शतरंज खिलाड़ी हो, लेकिन मुझे यह सुनकर अधिक खुशी होगी कि तुम एक महान व्यक्ति हो।'

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