D Gukesh: सपना हुआ सच तो आंखों से गायब हो गई नींद, फिर ट्रॉफी छूने से किया मना; जानें क्या है कारण
रात भर जागने के बाद उनकी आंखें दर्द कर रही थीं लेकिन डी गुकेश ने लगातार कई कार्यक्रमों में भाग लिया और सैकड़ों आटोग्राफ दिया। चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश ने बृहस्पतिवार को चीन के गत चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत के साथ वह 18वें और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय बन गए।

पीटीआई, सिंगापुर : रात भर जागने के बाद उनकी आंखें दर्द कर रही थीं, लेकिन डी गुकेश ने लगातार कई कार्यक्रमों में भाग लिया और सैकड़ों आटोग्राफ देने के बाद विश्व शतरंज चैंपियनशिप की ट्रॉफी अपने हाथों में ली। चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश ने बृहस्पतिवार को चीन के गत चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत के साथ वह 18वें और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय बन गए।
गुकेश के लिए अगली सुबह की शुरुआत ट्रॉफी की एक झलक पाने से हुई, जिसे उन्होंने छूने से इन्कार कर दिया क्योंकि वे शाम को समापन समारोह तक इंतजार करना चाहते थे। फिडे (अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ) के अध्यक्ष अर्काडी ड्वोर्कोविक द्वारा ट्रॉफी दिए जाने के बाद उन्होंने आखिरकार ट्रॉफी को अपने हाथों में लिया। उनके परिचय में फिडे प्रस्तुतकर्ताओं ने उनके 'शानदार संतुलन' और 'बेहतरीन प्रदर्शन' के बारे में बात की जो उन्होंने एक बड़े और अधिक अनुभवी प्रतिद्वंद्वी के विरुद्ध किया।
गुकेश ने शीर्ष पदक और पुरस्कार राशि मिलने के बाद कहा, 'यह क्षण ऐसा लग रहा है जैसे मैंने इसे लाखों बार जी लिया है। हर सुबह जब मैं जागता था तो यह पल ही मेरे जागने का कारण होता था। इस ट्राफी को थामना और यह वास्तविकता मेरे जीवन में किसी भी चीज से ज्यादा मायने रखती है।'युवा खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि नींद की कमी के कारण उनकी आंखें जल रही थीं, लेकिन उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था।
उन्होंने फिडे समापन समारोह में कहा, 'यह यात्रा किसी सपने से कम नहीं रही। इसमें कई उतार-चढ़ाव आए, कई चुनौतियां आईं, लेकिन मैं इसमें एक भी बदलाव नहीं करना चाहता क्योंकि यह मेरे साथ रहे लोगों की वजह से खूबसूरत रहे।
गुकेश को देख नई पौध होगी तैयार : संजय कपूर
गुकेश की उपलब्धि आने वाले समय में शतरंज की नई पौध तैयार करने में मदद मिलेगी। आज भारतीय शतरंज का लोहा पूरा विश्व मान रहा है। हमारी तैयार की गई नींव अब एक विशाल संरचना का रूप लेने लगी है। ये बातें भारतीय शतरंज महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और फिडे के वर्तमान जोनल अध्यक्ष संजय कपूर ने कहीं, जिन्हें बहुत अफसोस था कि वह सिंगापुर में गुकेश को यह उपलब्धि प्राप्त करते नहीं देख सके।
पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया, 'हमारे कार्यकाल में जिस तरह महासंघ ने काम किया, आज उसका फल दिखने लगा है। चार महीने के भीतर कैंडिडेट्स टूर्नामेंट, फिर ओलिंपियाड और टार्च रिले कर खिलाडि़यों में जागरूकता फैलाने की मुहिम कारगर रही है। हम यहां कैंडिडेट्स टूर्नामेंट लेकर आए, जिससे विश्व चैंपियनशिप के लिए चैलेंजर का चयन होता है। साथ ही खिलाड़ियों को तैयारी के लिए 40-40 लाख रुपये दिए जिससे उन्हें यह भरोसा हो कि महासंघ उन्हें हर हाल में समर्थन करेगा। गुकेश बहुत ही प्रतिभावान हैं। उनकी उपलब्धि देश भर में एक नई पौध तैयार करने में मदद करेगी। शतरंज ओलिंपियाड में विगत दो बार से हमारा प्रदर्शन विश्व में हमारा लोहा मनवा रहा है।'
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