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    10 साल की ब्रिटिश शतरंज खिलाड़ी बोधना सिवानंदन ने रचा इतिहास, ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स को हराया

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 04:43 PM (IST)

    Bodhana Sivanandhan Chess लिवरपूल में हुए 2025 ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप के अंतिम राउंड में 10 साल की बोधना सिवानंदन ने ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स को हराकर इतिहास रच दिया। वह किसी ग्रैंडमास्टर को हराने वाली इतिहास की सबसे कम उम्र की महिला शतरंज खिलाड़ी बन गईं। उन्होंने यह उपलब्धि 10 साल 5 महीने और 3 दिन की उम्र में हासिल की।

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    Chess: 10 साल की बोधना सिवानंदन ने रचा इतिहास

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। लिवरपूल में हुए 2025 ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप के अंतिम राउंड में 10 साल की बोधना सिवानंदन ने ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स को हराकर इतिहास रच दिया।

    वह किसी ग्रैंडमास्टर को हराने वाली इतिहास की सबसे कम उम्र की महिला शतरंज खिलाड़ी बन गईं। उन्होंने यह उपलब्धि 10 साल, 5 महीने और 3 दिन की उम्र में हासिल कर अमेरिकी खिलाड़ी कैरिसा यिप के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जो उन्होंने 2019 में10 साल, 11 महीने में बनाया था।

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    बोधना सिवानंदन ने रचा इतिहास

    बोधना, जो वुमन फीडे मास्टर हैं, मूल रूप से तमिलनाडु के त्रिची से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता सिवानंदन वेलायुथम आईटी सेक्टर में काम करते हैं और 2007 में परिवार को लंदन ले आए थे। वहीं बोधना का जन्म और पालन-पोषण हुआ। मात्र 8 साल की उम्र में उन्हें ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट बुलाया था, जब वे यूके में शतरंज के लिए वित्तीय पैकेज की घोषणा करने वाले थे।

    बोधना हमेशा शतरंज हॉल में माथे पर छोटी सी बिंदी और वाइभूति की लकीर के साथ नजर आती हैं। वह बहुत कम बोलती हैं और अक्सर अपने साथ एक कुशन वाली सीट लेकर आती हैं ताकि बोर्ड के दूसरी तरफ तक आसानी से पहुंच सकें।

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    लेकिन जैसे ही खेल शुरू होता है, वह अपनी पोज़िशनल प्ले और एंडगेम की महारत से बड़े-बड़े खिलाड़ियों को चौंका देती हैं, मानो उन्हें यह कला महान खिलाड़ी होसे राउल कैपाब्लांका से विरासत में मिली हो।

    बोधना के पिता ने बताया था,

    “बोधना ने 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया। हमारी कोई योजना नहीं थी। उसने घर में रखी एक शतरंज की बिसात देखी और खेलना शुरू कर दिया। मुझे सिर्फ बुनियादी चालें आती थीं, तो मैंने Chess.com ऐप डाउनलोड किया और उसके वीडियो दिखाए। उस समय मैंने सोचा था कि शायद वह इसे जारी नहीं रखेगी।”

    लेकिन बोधना ने लगातार मेहनत से कई रिकॉर्ड बनाए और तीन बार वर्ल्ड जूनियर टाइटल जीते।