एशियाई चैंपियन 'सूरमा' की नजरें पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने पर
पेशे से बैंकर प्रणव सूरमा की पर 16 की उम्र में पहाड़ टूट पड़ा। साल 2011 में उनके ऊपर घर की छत गिर गई थी। इसके उनकी जिंदगी व्हील चेयर तक सिमट गई। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और हौसला बनाए रखा। कई खेलों में रूचि होने के बावजूद उन्हें अंत में क्लब थ्रो में अपना करियर बनाया। वह मौजूदा एशियाई चैंपियन हैं। पैरालंपिक में उनसे मेडल की आस है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। ऐसा अक्सर नहीं होता है कि जीवन बदल देने वाली दुर्घटना से अपाहिज कोई व्यक्ति उस त्रासदी को अपने लिए वरदान बना दे, लेकिन जल्द ही पैरालंपियन बनने वाले प्रणव सूरमा ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया।
प्रणव जब 16 साल के थे जब 2011 में उनके घर की छत उनके ऊपर गिर गई। उनकी जिंदगी व्हील चेयर तक सिमट गई थी, लेकिन उन्होंने हौसला बनाए रखा और अब वह 28 अगस्त से पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने की तैयारी में लगे हुए हैं।
'मैं आशीर्वाद मानता हूं'
पेशे से बैंकर सूरमा ने कहा, मेरी शुरू से खेलों में रुचि रही है, लेकिन मैंने कभी खेल को करियर विकल्प के रूप में नहीं लिया। मैं हमेशा अपने जीवन में कुछ अच्छा करना चाहता था और विडंबना यह है कि मुझे यह तब मिला जब मैं लकवाग्रस्त हो गया। मैं इसे अपने लिए आशीर्वाद मानता हूं।
पदक के प्रबल दावेदार
सूरमा 30.01 मीटर के एशियाई खेलों के रिकॉर्ड के साथ मेंस की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में मौजूदा एशियाई चैंपियन हैं। पेरिस पैरालंपिक खेलों में उन्हें पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
इन खेलों में थी रूचि
सूरमा ने कहा, मैंने खेल को अपनी पहचान बनाने के अवसर के रूप में लिया। मुझे 2016 में रियो पैरालंपिक के दौरान पैरा खेलों के बारे में पता चला। मैं तैराक बनना चाहता था, लेकिन मेरी मेडिकल स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं था। मुझे टेबल टेनिस पसंद था, लेकिन मुझे प्रशिक्षित करने के लिए कोई अच्छा कोच नहीं मिला। फिर मैंने क्लब थ्रोअर में हाथ आजमाया और हांगझू में पिछले वर्ष स्वर्ण पदक जीता। अब पेरिस में देश के लिए पदक जीतना चाहता हूं।
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