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    Paris Olympics 2024 की आखिरी उम्मीद पर खरे उतरे अमित पंघाल, अब पदक है लक्ष्य

    Updated: Mon, 08 Jul 2024 10:23 AM (IST)

    अमित पंघाल टोक्यो ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाए थे। इस बार उनका क्वालिफाई करना मुश्किल लग रहा था लेकिन आखिरी चांस में अमित ने पेरिस ओलंपिक के टिकट पर गज ...और पढ़ें

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    अमित पंघाल पेरिस ओलंपिक के लिए जमकर कर रहे हैं तैयारी (PC- Amit Panghal X Account)

     ओपी वशिष्ठ , जागरण, रोहतक : प्रतिभा है तो किस्मत भी बदल जाती है। ऐसा ही मुक्केबाज अमित पंघाल के साथ हुआ। मगर टोक्यो ओलंपिक के प्रदर्शन के बाद उनको एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने का मौका नहीं मिला। लग रहा था कि पेरिस ओलंपिक खेलने का अवसर नहीं मिल पाएगा। क्योंकि उनके वजन में दीपक भोरिया को भेजा गया। उनका चयन ट्रॉयल की बजाय मूल्यांकन प्रणाली से किया गया था। एशियन गेम्स और फिर वर्ल्ड क्वालिफाई चैंपियनशिप में अवसर गंवाकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया।

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    भारत के लिए थाईलैंड में अंतिम क्वालिफायर टूर्नामेंट था, जिसमें दीपक की जगह पर अमित पंघाल को भेजा गया। जैसे ही अमित को मौका मिला उसने एक चैंपियन की तरह रिंग में प्रदर्शन किया और देश के आखिरी और खुद के पहले मौके में ही पेरिस ओलंपिक का टिकट दिला दिया। अमित पंघाल ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में देश का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन उनका प्रदर्शन उम्मीद के अनुरुप नहीं रहा।

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    नहीं मिले ज्यादा अवसर

    टोक्यो के बाद अमित पंघाल को ज्यादा खेलने का अवसर नहीं मिला। उनके वजन में दीपक भोरिया को एशियन गेम्स और वर्ल्ड क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में भेजा गया, जहां से पेरिस ओलिंपिक का कोटा मिलना था। लेकिन देश को इन दोनों ही टूर्नामेंट में कोटा नहीं मिल पाया। आयरिश हाई परफार्मेंस निदेशक बर्नार्ड डन को इस्तीफा भी देना पड़ा। थाईलैंड में आखिरी टूर्नामेंट था, जिससे पेरिस ओलंपिक की राह निकलनी थी। इस बार दीपक भोरिया की जगह अमित को भेजा गया। क्योंकि अमित ने नेशनल गेम्स में गोल्ड जीतकर अपने इरादे भी जाहिर कर दिए थे।

    फिलहाल पूरा फोकस ट्रेनिंग पर

    अमित पंघाल हिमाचल में अपने कोच अनिल धनखड़ और अन्य कोच की देखरेख में अभ्यास कर रहे हैं। उनके साथ 52 किग्रा और 57 किग्रा वजन के मुक्केबाज भी हैं, उनके साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले अन्य मुक्केबाज जर्मनी में ट्रेनिंग कर रहे हैं। अमित का कहना है कि मुझे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलने का अवसर नहीं मिला है।

    ऐसे में ओलंपिक में प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए अब पूरा फोकस ट्रेनिंग पर हैं। टोक्यो में जो कमी रह गई थी, उसे पेरिस में नहीं दोहराऊंगा। देश के लिए पदक जीतना ही मेरा लक्ष्य है। मैं भूतकाल में हुई बातों को वर्तमान में साथ नहीं रखता हूं। वर्तमान और भविष्य के बारे में सोचता हूं। ट्रेनिंग पर ही पूरा ध्यान है। इसलिए फोन, इंटरनेट मीडिया और परिवार से दूरी बना रखी है।

    परिवार के सदस्य भी कोच अनिल धनखड़ से ही बात करते हैं, अगर जरूरी होता है तो बात करवा देते हैं। पेरिस ओलंपिक का कोटा एक माह पहले ही मिला है, इसलिए ट्रेनिंग का ज्यादा समय नहीं मिल पाया है। टोक्यो में जिससे हारा था, वो इस बार क्वालिफाई नहीं कर पाया है। पेरिस में अधिकतर मुक्केबाजों के साथ मुकाबला हो चुका है। कुछ नए हैं, जिनके साथ पहली बार मुकाबला होगा। बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा।

    2016 में जीता था नेशनल में गोल्ड मेडल

    रोहतक के साथ लगते गांव मायना के निवासी अमित पंघाल अपने बड़े भाई अजय पंघाल को मुक्केबाजी करते देख रिंग में उतरे थे। अजय पंघाल सेना में हैं, लेकिन वो ओलंपिक में नहीं जा सके। अमित ने उनका सपना पूरा किया। गांव में ही कोच अनिल धनखड़ ने रिंग में मुक्केबाजी के पंच सिखाए। देखते ही देखते अमित ने रिंग में बेहतर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। 2016 में नेशनल गेम्स में पहली बार गोल्ड मेडल जीता और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

    2018 में सेना को ज्वाइन किया और वर्तमान में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। कॉमनवेल्थ में सिल्वर और गोल्ड, वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर, एशियन गेम्स में गोल्ड, एशियन चैंपियनशिप में ब्रांज, सिल्वर और गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं। अमित पंघाल की मां उषा पंघाल गृहणी हैं, जबकि पिता विजेंद्र पंघाल एक छोटे किसान हैं। उनका सपना अमित को पेरिस ओलिंपिक में देश के लिए पदक जीतते देखना है।

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