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    शाम ढलते ही झीलों की नगरी में विकास का सूर्योदय, नवाबी सुस्ती से बाहर निकल भोपाल ने पकड़ी 'मेट्रो' रफ्तार

    By Virendra TiwariEdited By: Ravindra Soni
    Updated: Sat, 20 Dec 2025 10:05 PM (IST)

    भोपाल में मेट्रो सेवा की शुरुआत के साथ ही विकास का एक नया युग शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर इस परियोजना का उद्घाटन ...और पढ़ें

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    भोपाल में मेट्रो रेल सेवा का उद्घाटन।

    वीरेंद्र तिवारी।

    20 दिसंबर, 2025... यह तारीख भोपाल के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। घड़ी की सुइयां जब शाम 5:48 पर पहुंचीं, तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने हरी झंडी दिखाकर भोपाल को मेट्रो सिटी की कतार में खड़ा कर दिया। विडंबना और संयोग देखिये कि आज सूर्य अस्त होने का समय 5:40 था, लेकिन ठीक 8 मिनट बाद जब अंधेरा घिरने लगा, तब भोपाल के क्षितिज पर विकास का एक नया 'सूर्योदय' हो रहा था।

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    यह घटना महज एक रेल के चलने की नहीं, बल्कि भोपाल की 'नवाबी सुस्ती' से बाहर निकलकर 'मेट्रो रफ़्तार' पकड़ने की है। मेट्रो के शुभारंभ के साथ ही 'भोपाल मेट्रोपोलिटन एरिया' की घोषणा इस प्रोजेक्ट की सार्थकता को कई गुना बढ़ा देती है। यह ठीक वैसा ही विजन है, जिसने कभी हैदराबाद की तस्वीर बदली थी।

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    दायरा बढ़ा, हुआ कायाकल्प

    हमें हैदराबाद मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी से सीखना होगा। 2008 में हैदराबाद ने शहर की सीमाओं को तोड़कर आसपास के 7 जिलों को एक 'ग्रेटर रीजन' में बदल दिया। उन्होंने पहले कनेक्टिविटी (आउटर रिंग रोड) दी और फिर बसाहट हुई। नतीजा आज वह ग्लोबल आईटी हब है।

    भोपाल में मेट्रोपोलिटन एरिया घोषित होने का अर्थ है कि अब विकास के लिए मंडीदीप, सीहोर और रायसेन,विदिशा अलग-अलग टापू नहीं, बल्कि भोपाल के 'विस्तारित हाथ' होंगे। यह मॉडल शहर को भीड़भाड़ से बचाएगा और एक 'इंटीग्रेटेड रीजन' तैयार करेगा।

    यह भी पढ़ें- भोपाल को मिली 'मेट्रो' की सौगात, केंद्रीय मंत्री खट्टर व सीएम मोहन ने दिखाई हरी झंडी, की पहली सवारी, बच्चे भी बने हमसफर

    लंदन की 'ट्यूब' हो या सिंगापुर का 'मास रैपिड ट्रांजिट', दुनिया भर की केस स्टडीज गवाह हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था का इंजन होता है। रिसर्च बताती है कि लंदन की इकोनॉमी में वहां के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का योगदान 20% तक है।

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    चुनौती के साथ अवसर भी

    भोपाल के लिए अब चुनौती और अवसर दोनों हैं। हमें 'ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट' की नीति को सख्ती से लागू करना होगा। इसका अर्थ है मेट्रो स्टेशनों के आसपास हाई-डेंसिटी कमर्शियल जोन्स का निर्माण, ताकि लोग निजी वाहनों को छोड़कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाएं। यह रीयल एस्टेट और जाब मार्केट में 'पैराडाइम शिफ्ट' लाएगा।

    5:48 बजे दिखाई गई वह हरी झंडी भोपाल के भविष्य के लिए एक संकेत है कि अब हमें रुकना नहीं है। पटरियों पर दौड़ती यह मेट्रो, भोपाल की नई धड़कन है, जो शहर की किस्मत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

    - लेखक दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नवदुनिया, भोपाल के संपादक हैं।