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    Odisha News: 5-टी योजना के तहत स्कूलों का काम जोरों पर, दो हाईस्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे

    Odisha News सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा का अधिकार (Right To Education) अधिनियम लागू किया गया। 5-टी योजना के तहत पूरे राज्य में कायापलट हुआ। स्मार्ट भवन स्मार्ट क्लासरूम स्मार्ट लाइब्रेरी बनीं और सुविधाएं भी बढ़ीं लेकिन इन्हें चलाने के लिए शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों की कमी है। कई हाई स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।

    By Mahendra Mahato Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 01 Sep 2024 01:54 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। करुआगाल पंचायत के भंडार करुआबहाल व कुसुमुरा पंचायत के कुसुमुरा हाईस्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे है। जबकि रामपुर पंचायत के खमपुर हाईस्कूल में चार शिक्षक हैं। यहां संस्कृत व हिंदी के शिक्षक गणित व विज्ञान पढ़ा रहे हैं।

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    इन स्कूलों का 5-टी विभाग के माध्यम से कायापलट किया गया। इन स्कूलों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बालीशंकरा प्रखंड के स्कूलों का कायापलट तो हुआ, लेकिन उनमें शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। जिसके कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

    खामपुर हाईस्कूल की स्थापना 1987 में हुई थी। इस स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण छात्र दूसरे स्कूलों में चले गए हैं। वर्तमान में कक्षा नौ में 17 और कक्षा दस में 10 छात्र पढ़ रहे हैं। इनके लिए एक ही शिक्षक प्रवीण कुमार साहू हैं, जिन्हें प्रधानाध्यापक का भी दायित्व निभाना पड़ता है।

    पढ़ाने के साथ उन्हें कार्यालय का काम भी देखना पड़ता है। शिक्षकों की कमी के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस स्कूल में एक चपरासी, एक क्लर्क और एक शिक्षक कार्यरत हैं। कुसुमुरा हाईस्कूल की स्थापना 1994 में हुई थी।

    स्कूल में एक क्लर्क और तीन चपरासी कार्यरत

    यहां भी एक ही शिक्षिका रश्मिता पटेल कार्यरत हैं। वे संस्कृत की शिक्षिका हैं। स्कूल में एक क्लर्क और तीन चपरासी कार्यरत हैं। कक्षा नौ में 28 और कक्षा दस में 26 छात्र हैं। स्कूल की समस्या से उन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। भंडार करुआबहाल हाई स्कूल में कक्षा नौ में 31 और कक्षा दस में 29 छात्र हैं।

    इस स्कूल में प्रधानाध्यापक रमाकांत नायक के साथ ही एक संस्कृत शिक्षक, एक हिंदी शिक्षक और एक अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। इनके माध्यम से पढ़ाई तो हो रही है लेकिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।

    सरकार भवन पर पैसा खर्च कर रही है लेकिन खाली पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से अव्यवस्था देखने को मिल रही है।

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