सेब के टुकड़े से मासूम बच्चे की रुकी सांस, MCL अस्पताल में मदद न मिलने से हुई मौत
ब्रजराजनगर में एमसीएल सेंट्रल अस्पताल की लापरवाही से एक बच्चे की जान चली गई। गले में सेब का टुकड़ा फंसने के बाद परिजन बच्चे को अस्पताल ले गए जहां ईएनटी विशेषज्ञ और प्राथमिक उपचार की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। एम्बुलेंस भी समय पर नहीं मिली। अस्पताल के गेट की व्यवस्था भी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है जिससे बच्चे की रास्ते में ही मौत हो गई।

संवाद सूत्र, ब्रजराजनगर। एमसीएल सेंट्रल अस्पताल मंडलिया की लापरवाही ने एक मासूम की जान छीन ली। गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे बुढीइजाम गुरुद्वारा पारा निवासी इंद्रजीत सिंह व नीतू सिंह के डेढ़ वर्षीय पुत्र ईशप्रीत सिंह ने सेब का एक छोटा टुकड़ा निगल लिया, जो उसके गले में फंस गया।
बच्चा घुटने लगा और परिजन उसे तत्काल मंडलिया स्थित एमसीएल सेंट्रल हॉस्पिटल ले गए। उस समय अस्पताल में सर्जन डॉ. दीपक साहू मौजूद थे। लेकिन वहां न तो प्राथमिक बचाव के उपकरण उपलब्ध थे और न ही ईएनटी विशेषज्ञ थे। ईएनटी वार्ड महीनों से बंद पड़ा है।
जब परिजनों ने कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मदन दास से शिकायत की तो उन्होंने स्पष्ट कहा ईएनटी डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं, हमने कई बार ईब वैली जीएम को सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु लिखा है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
परिजनों ने झारसुगुड़ा स्थित सेवानिवृत्त ईएनटी चिकित्सक से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने असमर्थता जता दी। इस बीच बच्चे की हालत और गंभीर हो गई। हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल के पास एम्बुलेंस उपलब्ध होते हुए भी तत्काल नहीं दी गई।
बच्चे को लेकर परिजन ब्रजराजनगर के दो अन्य निजी डॉक्टरों के पास भी पहुंचे, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिलने से स्थिति बिगड़ती रही। तब एक संवेदनशील स्थानीय नागरिक ने अपनी निजी कार की चाबी देते हुए कहा जल्दी ले जाइए, शायद बच्चा बच जाए। पर तब तक देर हो चुकी थी और रास्ते में ही मासूम की मृत्यु हो गई।
गेट व्यवस्था भी बनी जानलेवा बाधा
स्थानीय नागरिकों ने अस्पताल प्रशासन की एक और बड़ी खामी की ओर ध्यान दिलाया। सेंट्रल अस्पताल के दो गेट हैं। एक ओपीडी की ओर और दूसरा केजुअल्टी (आपातकालीन) की तरफ है। परन्तु आजकल केवल ओपीडी गेट ही खुला रहता है।
ऐसे में जब कोई मरीज आपातकालीन स्थिति में पहुंचता है तो भ्रम और समय की बर्बादी होती है। लोगों की स्पष्ट मांग है कि ओपीडी गेट दिन में खुले, लेकिन केजुअल्टी गेट को 24 घंटे खुला रखा जाए। वर्तमान व्यवस्था मरीजों की जान के लिए खतरा बनती जा रही है।
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