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    संबलपुर रोड स्टेशन बंद के निर्णय के खिलाफ आंदोलन की तैयारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 14 Mar 2021 09:39 PM (IST)

    सवा सौ वर्ष से भी अधिक पुराने संबलपुर रोड स्टेशन को बंद किए जाने के रेलवे के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। ऐतिहासिक स्टेशन को बंद होने से बचाने के लिए विभिन्न संगठनों ने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है।

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    संबलपुर रोड स्टेशन बंद के निर्णय के खिलाफ आंदोलन की तैयारी

    संसू, संबलपुर : सवा सौ वर्ष से भी अधिक पुराने संबलपुर रोड स्टेशन को बंद किए जाने के रेलवे के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। ऐतिहासिक स्टेशन को बंद होने से बचाने के लिए विभिन्न संगठनों ने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। निर्णय का विरोध करने वालों का मानना है कि रेलवे को स्टेशन को हमेशा के लिए बंद करने के बजाय दोहरीकरण के लिए विकल्प की तलाश करनी चाहिए।

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    शुक्रवार की रात संबलपुर रोड स्टेशन परिसर में नागरिक सभा बुलाई गई, जिसमें विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता व विशिष्ठ नागरिकों ने किसी भी हालत में स्टेशन को बंद नहीं होने देने का निर्णय लिया। इन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि आधुनिक तकनीकी युग में इसके लिए कई विकल्प हो सकते हैं, लेकिन रेलवे विकल्प तलाशने के बजाय पिछले दो दशकों से स्टेशन को बंद करने की योजना बना रही है।

    पूर्व सांसद भवानीशंकर होता ने कहा कि बेहतर होगा कि माल परिवहन के लिए शहर से बाहर अलग लाइन बिछाई जाए और इस स्टेशन को सुरक्षित रखा जाए। वकील संघ क्रियानुष्ठान कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप बहिदार समेत पश्चिमांचल पीपुल्स फोरम के आवाहक सपन मिश्र, जिला वकील संघ के महासचिव रविरंजन पुजारी, वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश्वर मिश्र, वरिष्ठ मीडियाकर्मी शिवशंकर नंद, ओडिशा सांस्कृतिक समाज के सचिव सरोज दाश, डा. संतोष दास, अधिवक्ता मनोरंजन दाश, डा. परेशचंद्र दानी, आतिफ आलम, दिलबाग सिंह चावला आदि ने लोगों की भावना से खिलवाड़ नहीं करने की नसीहत देने समेत रेलवे से अपना निर्णय वापस लेने और इस ऐतिहासिक स्टेशन को बंद नहीं करने की सलाह दी। ऐसा नहीं होने पर आरपार की लड़ाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई।

    नाटककार डा. पंचानन मिश्र ने शहर भर में नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर लोगों को जागरूक करने और रेलवे के निर्णय का प्रतिवाद करने की बात कही। प्रणव शत्रुशल्य और भूपेन साहू के आह्वान और गौरीशंकर दास के संचालन में आयोजित सभा में रेलवे द्वारा निर्णय वापस नहीं लेने पर संबलपुर मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय का घेराव, विभिन्न स्थानों पर प्रतिवाद सभा, रेल रोको आंदोलन और संबलपुर बंद करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, आंदोलन को अधिक जोरदार और असरदार बनाने के लिए स्टीरिग कमेटी का गठन, जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन और रेलवे पर दबाव के लिए जिला और राज्य प्रशासन से मांग करने का निर्णय लिया गया।