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    सिमलीपाल रिजर्व फॉरेस्ट में लगी आग से ली सबक, क्योंझर में दावानल पर काबू पाने के लिए फायर लाइन का काम जोरो पर

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 23 Feb 2023 10:39 AM (IST)

    ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमलीपाल रिजर्व फॉरेस्ट में लगी आग के विकराल रूप लेने के साथ ही क्योंझर में वन अधिकारियों ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी। इसके तहत फॉरेस्ट फायर लाइन बनाने की प्रक्रिया जोरो पर है।

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    क्योंझर के जंगल मे फायर लाइन बनाती हुईं महिलाएं

    संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ऐसे समय में जब मयूरभंज जिले का सिमलीपाल वन्यजीव अभयारण्य जंगल की आग से जूझ रहा है वहीं क्योंझर में वन अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं कि जिले के जंगल कहीं आग की चपेट में न आएं। जंगल में एक हिस्से से दूसरे हिस्से में आग को फैलने से रोकने के लिए वे 'फॉरेस्ट फायर लाइन' का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें एकत्रित कूड़ा-कचरा सूखी पत्तियों को अलग-थलग करके जला दिया जाता है।

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    जंगल की आग को रोकने के प्रयास शुरू

    रिपोर्टों के अनुसार आग तभी फैलती है जब आग के रास्ते में सूखे पेड़-पौधों की निरंतर आपूर्ति होती है। क्योंझर वन प्रभाग में सदर वन रेंज के अंतर्गत पलाशपंगा वन खंड में वन अधिकारियों ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और स्थानीय वन सुरक्षा समितियों (वीएसएस) की भागीदारी के साथ जंगल की आग को रोकने के प्रयास शुरू किए हैं, जिसमें क्षेत्र के सतर्क ग्रामीणों को शामिल किया गया है।

    पिछले अनुभवों से सीखते हुए वन अधिकारी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं कि जंगल में आग न लगे। सूत्रों ने कहा कि कार्यक्रम को जल्द ही जिले के अन्य हिस्सों में भी बढ़ाया जाएगा।

    महिलाएं कर रही हैं फायर लाइन पर काम पूरा

    इस बीच, पलाशपंगा वन खंड के तहत अहरपसी, कंदरापासी, अमुनीपुर, नायगांव, और सांडियापसी गांवों में वन सुरक्षा समितियों द्वारा जंगल की आग पर जागरूकता बैठकों का आयोजन किया गया है। महिला सदस्यों ने कार्यक्रम में शामिल होकर फायर लाइन पर काम पूरा किया।

    उन्होंने 16 महिला एसएचजी के सदस्यों को जोड़ा है और जंगल के अन्य क्षेत्रों में आग को और फैलने से रोकने के लिए जंगल की सीमा रेखा के पार रिक्त स्थान बनाने के लिए झाड़ियों को साफ करने और उस क्षेत्र के जलने को नियंत्रित किया है।

    जंगल को बचाने में ग्रामीण निभा रहे अहम भूमिका

    इस बीच, बौलामाला और काशीरपाटना क्षेत्रों में कार्यक्रम चल रहा है, जहां वन अधिकारी वन सुरक्षा समितियों की सहायता से महिला स्वयं सहायता समूहों की सक्रिय भागीदारी के साथ फायर लाइन पर काम पूरा कर रहे हैं। बौलामाला वन सुरक्षा समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पलाशपंगा वनपाल जयकृष्ण दास, वन रक्षक सुभासिनी गिरि और वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने जंगल की आग पर काबू पाने में ग्रामीणों की भूमिका के बारे में बताया। बाद में भाग लेने वाले ग्रामीणों ने जंगल को आग और अन्य खतरों से बचाने का संकल्प भी लिया।

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