सिमलीपाल फॉरेस्ट रिजर्व में लगी आग ने धारण किया विकराल रूप, जंगल में जलकर खाक हुए कई औषधीय पौधे
मयूरभंज में स्थित सिमलीपाल अभ्यारण में लगी भयंकर आग धीरे-धीरे और विकराल रूप धारण करता जा रहा है। इसकी चपेट में आकर कई औषधीय पौधे जलकर खाक हो गए हैं। कोई इसके पीछे शिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो कई तापमान को वजह बता रहे हैं।

अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। मयूरभंज जिले के सिमलीपाल रिजर्व फॉरेस्ट में सोमवार देर रात जंगल में आग लग गई। सोमवार रात को जंगल की आग ने मानिकपुर और अनंतपुर के पास सिमलीपाल के कुछ हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। सूत्रों ने कहा कि आग ने कम से कम एक किलोमीटर लंबे क्षेत्र को अपनी चपेट में लिया है। बहुत तेजी से फैलते इस आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इस बीच आग पर काबू पाने के प्रयास जारी हैं।
जंगल की आग से जले औषधीय पौधे
सूत्रों ने बताया कि जंगल की आग से औषधीय पौधे जल गए हैं। कुछ बड़े पेड़ और जंगली जानवर भी प्रभावित हुए हैं। कुछ दिन पहले उदला रेंज के अंतर्गत खलाडी और तानाकासाही आरक्षित वनों में भी आग लगी थी।
जंगल में आग लगने के पीछे की वजह
हालांकि आग लगने के कारण का अभी तक पता नहीं चला है। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कार्य वन्य जंतु शिकारियों ने किया होगा। 6 फरवरी को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) देबिदत्त बिस्वाल ने कहा था कि इस वर्ष प्रचलित मौसम की स्थिति के मद्देनजर राज्य में जंगल में आग लगने की अधिक घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
जनवरी से अब तक राज्य में करीब 200 जगहों से जंगल में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। अगर राज्य में अगले दो महीनों में बारिश नहीं हुई तो स्थिति और खराब हो सकती है। उल्लेखनीय है कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने 1 फरवरी से 8 फरवरी के बीच राज्य में जंगल में आग लगने की 578 घटनाओं की सूचना दी थी।
जंगल में आग लगने के मामले में ओडिशा अव्वल
एफएसआइ से मिले तथ्यों से एक और जरूरी बात सामने आई है कि जंगलों में आग लगने की घटना के मामले में ओडिशा देश में पहले स्थान पर है। 22 फरवरी से लेकर 1 मार्च के बीच ओडिशा के विभिन्न जंगलों में 5291 अग्निकांड की घटनाएं हो चुकी हैं। अन्य राज्यों की तुलना में ओडिशा के जंगलों में हो रही अग्निकांड की घटना तीन गुना अधिक है।
यहां पढ़ें पूरी खबर- जंगल में आग लगने के मामले में ओडिशा देश में अव्वल: एक सप्ताह में 5291 अग्निकांड
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