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    Odisha News: बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों के लिए सरकार चलाएगी अभियान, स्कूल आने के लिए करेगी प्रेरित

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 04:24 PM (IST)

    राज्य सरकार ने स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकने के लिए आओ स्कूल चलें अभियान शुरू किया है। इसके तहत शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे। अभिभावकों को शिक्षा सभाओं के माध्यम से जागरूक किया जाएगा। छात्राओं के लिए स्कूलों में वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को कपड़े और जूते भी वितरित किए जाएंगे।

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    प्रदेश के स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकने के लिए सरकार का अभिनव कदम। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राज्य सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकने के लिए अभिनव कदम उठाए हैं। शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा किए गए बच्चों के डोर-टू-डोर सर्वे के बाद अब सरकार ने 'आओ स्कूल चलें' अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इससे बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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    इस अभियान के तहत आधे से पढ़ाई छोड़ स्कूल न जाने वाले बच्चों को स्कूल वापस लाना, बिल्कुल विद्यालय न जाने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना और उनकी उम्र के हिसाब से कक्षा में दाखिला कराना, जो शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल हैं वे स्कूल न छोड़े, इसके लिए आवश्यक कदम उठाना और शिक्षण व्यवधान कम करने को प्राथमिकता दी जाएगी।

    डोर टू डोर किए गए सर्वेक्षण के तथ्य के मुताबिक प्रत्येक विद्यालय को पढ़ाई छोड़ने वाले एवं बिल्कुल स्कूल न जाने वाले बच्चों की सूची दी जाएगी। आंकड़ों के आधार पर शिक्षक शिक्षिका घर-घर जाकर चिह्नित बच्चों और उनके अभिभावकों को स्कूल में दाखिला लेने की सलाह देंगे।

    अभिभावकों को 'शिक्षा सभा' और पदयात्रा के माध्यम से सूचित किया जाएगा और स्कूल स्तर पर 'गृह परिदर्शन तथ्य पुस्तिका' उपलब्ध कराई जाएगी। माता-पिता को बच्चों के स्कूल छोड़ने के कारण और प्रभाव के बारे में सूचित किया जाएगा।

    पूर्व छात्रों, शिक्षाविदों, सरकारी अधिकारियों को छात्रों को उपलब्ध सुविधाओं के बारे में सूचित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। परामर्श के बाद विद्यालय में नामांकित विद्यार्थियों के अभिभावकों को प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।

    माता-पिता को बच्चे को नियमित रूप से स्कूल भेजने की शपथ दिलाई जाएगी। हर स्कूल में मार्च निकाले जाएंगे। प्रत्येक क्षेत्रीय संसाधन केंद्र समन्वयक एक विशेष स्कूल में क्षेत्रीय स्तर की 'शिक्षा सभाओं' का आयोजन करेगा।

    इसके साथ ही, पंचायती राज संस्थानों के सदस्यों, पूर्व छात्रों, माता-पिता, सामुदायिक प्रतिनिधियों, प्रधानाध्यापकों/शिक्षकों, तकनीकी शिक्षण संस्थानों और सहयोगी स्कूलों से एक शिक्षक को आमंत्रित करेगा। आधे से स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित किया जाएगा।

    एक महत्वपूर्ण निर्णय में उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर पढ़ने वाले छात्रों की मासिक धर्म स्वच्छता के लिए हर स्कूल में इनसिनीरेटर और वेंडिंग मशीनें स्थापित की जाएंगी। 9,880 उच्च प्राथमिक और 9,499 माध्यमिक विद्यालयों सहित कुल 19,368 स्कूलों में ये मशीनें लड़कियों के शौचालयों में लगाई जाएंगी।

    प्रधानाचार्य इस बात पर ध्यान देंगे कि मशीनें चालू हैं और माताएं अपनी बेटियों को सूचित करेंगी। स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें उत्पीड़न से बचाने, शौचालयों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

    1 से 15 सितंबर तक स्कूलों में 'स्वच्छता पक्ष' मनाया जाएगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं में पढ़ने वाले बच्चों को दो जोड़ी कपड़े, जूते, दो जोड़ी मोजे, एक टी-शर्ट और ट्रैक पैंट (ब्रांडिंग के साथ), एक टोपी (लोगो के साथ) और पहचान पत्र के वितरण की प्रक्रिया सुनिश्चित करें।

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