Odisha News: 'समलैंगिक विवाह एक दिन वास्तविकता बन जाएगा', SC के फैसले पर बोलीं महिला धावक दुती चंद
सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। इस पर महिला धावक दुती चंद ने टिप्पणी की है। दुती चंद ने कहा कि समलैंगिक विवाह एक दिन वास्तविकता बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सेम-सेक्स वाले व्यक्तियों को एक साथ रहने से नहीं रोका है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। भारत की सबसे तेज महिला धावक दुती चंद ने आशा व्यक्त की है कि समलैंगिक विवाह एक दिन वास्तविकता बन जाएगा। चंद ने समलैंगिक विवाह की वैधता पर शीर्ष अदालत के फैसले पर अपने विचार व्यक्त करते हुए यह टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार को सर्वसम्मति से विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया और फैसला सुनाया कि ऐसे मिलन को मान्य करने के लिए कानून में बदलाव करना संसद के दायरे में है।
'सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया'
इस पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समान-लिंग वाले व्यक्तियों को एक साथ रहने से नहीं रोका है। चूंकि देश में समान-लिंग वाले व्यक्तियों के बीच विवाह के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया।
दुती चंद ने कहा कि हम आशावादी हैं कि केंद्र सरकार और संसद निश्चित रूप से मामले पर विचार करेगी और भविष्य में समलैंगिक व्यक्तियों के बीच विवाह के लिए उचित कानून बनाएगी।
जिन्हें यह बताने में कोई झिझक नहीं थी कि वह अपने साथी के साथ पांच साल से रिश्ते में थीं। उन्होंने कहा कि वे एक-दूसरे से प्यार करती हैं और साथ रहने व शादी करने का फैसला किया।
'सभी को जीवन में उचित अधिकार मिलना चाहिए'
समान लिंग के बीच विवाह को शहरी-ग्रामीण, उच्च-निम्न, जाति, पंथ या धर्म के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। यह मानवता की समस्या है और सभी को जीवन में उचित अधिकार मिलना चाहिए।
समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा मिलने की आशा पर दुती चंद ने तर्क देते हुए कहा कि क्या भारत में विधवा विवाह का ऐसा कोई प्रावधान था? एक दिन देश में समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जाएगी।
फैसले को सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए
सत्तारूढ़ बीजद से जुड़ी एक ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता मीरा परिडा ने कहा कि समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए। अदालत को ट्रांसजेंडरों के एक साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि, विवाह एक मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन इसके अनुसार मैं उससे कुछ अधिक हूं। एलजीबीटीक्यू+ को भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में शादी करने का अधिकार मिलना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सालों तक साथ रहने के बाद भी बीमा और पेंशन का लाभ नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज को इन मुद्दों पर भी विचार करना चाहिए। अगर दो वयस्क जीवनभर दोस्त के रूप में एक साथ रहते हैं तो इसमें गलत क्या है?
एलजीबीटीक्यू+ का मतलब लेस्बियन, समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, समलैंगिक, प्रश्नवाचक, इंटरसेक्स, पैनसेक्सुअल, दो-आत्मा, अलैंगिक और सहयोगी व्यक्ति हैं।
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